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‘न्याय तक पहुंचने का रास्ता सीधा नहीं, यह लंबा और घुमावदार’; सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने क्यों कही ये बात​


भारत के भावी प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि न्याय तक पहुंच सीधा रास्ता नहीं, बल्कि लंबा और घुमावदार है। उन्होंने नालसा की नई पहल की सराहना करते हुए कहा कि न्याय एक अधिकार है जिसे संस्थागत शक्ति, पेशेवर क्षमता और करुणा से पोषित किया जाना चाहिए।
भारत के होने वाले अगले चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, न्याय तक पहुंचने का रास्ता सीधा और छोटा नहीं है। इसके लिए लगातार कोशिश, सहानुभूति और संस्थाओं का साथ बनाए रखना जरूरी है। जस्टिस ने रविवार को कानूनी सहायता वितरण तंत्र को मजबूत बनाने पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) की नयी पहल कानूनी सहायता रक्षा परामर्श प्रणाली की सराहना की।
जस्टिस सूर्यकांत कहा कि ‘‘न्याय तक पहुंच’’ की धारणा एक अमूर्त आदर्श नहीं है, बल्कि एक अधिकार है, जिसे संस्थागत ताकत, पेशेवर क्षमता और करुणाभाव के जरिये लगातार पोषित किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि कानूनी सेवा प्राधिकरणों ने देश के कोने-कोने तक पहुंचने में सफलता पाई है, लेकिन अब चुनौती इस व्यवस्था को मजबूत और पेशेवर बनाने की है ताकि कानूनी सहायता सार्थक, निरंतर और पर्याप्त रूप से समर्थित हो सके।
उन्होंने कहा, न्याय तक पहुंचने की यात्रा सीधी राह पर नहीं चलती, यह रास्ता लंबा और घुमावदार है। NALSA का भविष्य केवल अपनी पहुंच बढ़ाने में नहीं, बल्कि अपने प्रभाव को नवाचार, तकनीक और सहानुभूतिपूर्ण जुड़ाव से माध्यम से गहरा करने में है।