
सावन के शुभ महीने में बहुत ही त्योहार मनाए जाते है। ऐसे में नागपंचमी का शुभ पर्व भी इसी महीने को आता है। इस दिन नागदेवता की पूजा कर उन्हें दूध से स्न्नान करवा कर दूध, मालपूए, खीर, लड्डू आदि का भोग लगाया जाता है। भगवान शिव को नागों का देवता माना जाता है। कहा जाता है कि इस खास दिन पर जिंदा सांप की जगह उनकी प्रतिमा की पूजा करना शुभ माना जाता है।
इसदिन भगवान शिव और नागदेवता की पूजा कर जीवन में खुशहाली आती है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार नागदेवता की विशेष पूजा करने से कुंडली पर मौजूद कालसर्प, सर्प दोषों और अन्य दोषों से मुक्ति मिलती है। मगर नागदेवता की पूजा के दौरान कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए।
नागदेवता की पूजा में ध्यान में रखें ये बातें
नागदेवता की पूजा में हल्दी का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। इसके साथ ही धूप, बत्ती, सिंदूर, बेलपत्र, आभूषण फूलों की माला आदि चढ़ाने के बाद ही मिठाई का भोग लगाकर आरती करनी चाहिए।
कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के करें ये काम
इस साल नाग पंचमी का यह पावन त्योहार उत्तरा फाल्गुनी और हस्त नक्षत्र के प्रथम चरण के योग में आया है। इस शुभ योग में कालसर्प और अन्य दोषों से मुक्ति पाने के लिए नागदेवता की शास्त्रों अनुसार पूजा करनी से दोषों से मुक्ति मिलती है। इसके लिए शिव मंदिर में नाग-नागिन की प्रतिमा को चांदी या सोने में बनवाकर नदी में बहाएं। शिव जी की पूजा करें। इसके साथ ही पंडित को बुलवाकर कालसर्प दोष की पूजा भी करवा सकते है।
नाग पंचमी के दिन न करें ये काम
. इस दिन खेत की खुदाई करना व हल चलाना अशुभ माना जाता है।
. सुई में धागा न ही धागा डालना चाहिए और न ही इसका इस्तेमाल करना चाहिए।
. आग पर तवा और लोहे की कढ़ाही नहीं चढ़ानी चाहिए। कहा जाता है कि इससे सांपों को परेशानी होती है।
. किसी से लड़ाई-झगड़ा व गलत शब्द बोलने से बचना चाहिए।
. मान्यता है कि इस दिन लोहे के बर्तनों में खाना बनाना और खाना भी नहीं चाहिए।
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