प्रतिदिन लगभग हर घर में पूजन करते समय अगरबत्ती का प्रयोग किया जाता है लेकिन केवल खुशबू देखकर उसे न खरीदें। धर्म शास्त्रों के अनुसार बांस से निर्मित अगरबत्ती नहीं जलानी चाहिए इससे घर में दुर्भाग्य का संचार होता है। लकड़ी की अगरबत्ती अथवा धूप जलानी चाहिए।
धूपदान, दीपदान करने के बाद माचिस की तीली को फूंक मारकर बुझाना उन्हें जूठा या अपवित्र करने के समान है। ऐसा करने से घर में दरिद्रता आती है और लक्ष्मी कभी ऐसे घर की ओर रूख नहीं करती। शास्त्रों के अनुसार इसे अपराध माना गया है। प्रकृति पांच तत्वों से बनी है (पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश) सनातन धर्म के अनुसार इन सभी को देव तुल्य मान पूजन किया जाता है। जिन्हें देव मानकर पूजा जाता है उनको फूंक मार कर अपमान करना भला कहां तक उचित है।
कभी भी दीपक से दीपक नहीं जलाना चाहिए। पुराणों में कहा गया है जो व्यक्ति ऐसा करता है वे कभी रोगों से मुक्त नहीं होता।
पूजन करते समय करें ये काम
* घर के मंदिर में प्रात: एवं संध्या के समय एक दीपक घी का और दूसरा तेल का अवश्य जलाएं।
* पूजा एवं आरती खत्म होने के बाद उसी स्थान पर खड़े होकर 3 परिक्रमाएं अवश्य करें।
* पूजन करते समय दक्षिणा अवश्य चढ़ाएं।
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