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यह हमला कोई मजाक नहीं, सुप्रीम कोर्ट का अपमान है… जूता उछालने वाली घटना पर CJI बेंच के जज बेहद खफा


सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई बी. आर. गवई पर जूता फेंकने की घटना ने सबको चौंका दिया था। सीजेआई गवई ने इसे ‘भुला दी गई बात’ बताया, जबकि जस्टिस उज्ज्वल भुइयां ने वकील के खिलाफ कार्रवाई पर असहमति जताई।
सुप्रीम कोर्ट में 6 अक्टूबर को सीजेआई बी. आर. गवई पर जूता फेंकने की घटना ने सबको चौंका दिया था। सीजेआई गवई ने खुद कहा कि वे और जस्टिस के विनोद चंद्रन इस घटना से बहुत हैरान थे, लेकिन अब यह मामला ‘भुला दी गई बात’ है। यह घटना तब हुई जब 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने कोर्ट में सीजेआई पर जूता फेंकने की कोशिश की थी। इस घटना की चारों ओर निंदा हुई थी।
इस मामले में जस्टिस उज्ज्वल भुइयां ने आरोपी वकील के खिलाफ की जा रही कार्रवाई पर असहमति जताई। उन्होंने कहा, ‘मेरे अपने विचार हैं, वह सीजेआई हैं, यह मजाक की बात नहीं है।’ उन्होंने यह भी कहा कि यह हमला ‘सुप्रीम कोर्ट का अपमान’ था और उचित कार्रवाई होनी चाहिए थी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस कृत्य को ‘अक्षम्य’ बताया और सीजेआई की उदारता की सराहना की।
पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज मार्कंडेय काटजू ने कहा कि सीजेआई बी. आर. गवई ने ‘अनुचित टिप्पणियां’ करके जूता फेंकने की घटना को ‘निमंत्रण’ दिया था। काटजू सीजेआई की भगवान विष्णु के बारे में कथित टिप्पणियों का जिक्र कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ये टिप्पणियां ‘अनुचित और अनावश्यक’ थीं। उन्होंने एक्स पर लिखा कि ‘जजों को कोर्ट में कम बोलना चाहिए, और उपदेश, प्रवचन और व्याख्यान नहीं देने चाहिए।’