
बहुत से लोग होंगे जो जानते होंगे कि हिंदू धर्म में महिलाओं का अंतिम संस्कार में जाना वर्जित है। धर्म ग्रंथों के अनुसार कुल 16 संस्कारों में से एक अंतिम संस्कार माना जाता है। मृत्यु के बाद इंसान के शव को चिता के हवाले करना ही अंतिम संस्कार कहलाता है। आज हम आपको बताएंगे कि आख़िर क्यों श्मशान घाट पर होने वाले इंसान के दाह संस्कार में महिलाएं शामिल क्यों नहीं होती।
वास्तु शास्त्र के अनुसार श्मशान घाट एक एेसी जगह मानी जाती है जहां हर समय नकारात्मक ऊर्जा फैली रहती है। बल्कि इसके बारे में यह तक कहा जाता है कि रात के समय यहां नकारात्मक ऊर्जा यानि आत्माओं का प्रभाव देखने को मिलता है। कहते हैं कि रात और दोपहर तक ये शक्तियां अधिक प्रभावित होती है। यही कारण है कि महिलाओं को अंतिम संस्कार में शामिल होने से रोका जाता है।
कहते हैं कि नकारात्मक शक्तियां बड़ा तेज़ी से महिलाओं के अंदर प्रवेश कर जाती हैं। क्योंकि पुरूषों की तुलना में औरतें अधिक कोमल और पवित्र ह्रदय वाली होती है। इन नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव के चलते उन्हें कईं तरह की भयंकर बीमारियां लग जाने की भी संभावना रहती है।
वहीं एक कारण यह भी बताया गया है कि कोमल ह्रदय के चलते श्मशान के माहौल को महिलाएं सहन नहीं कर पाती। जिस कारण वह अपने आप को विलाप करने से रोक नहीं पाती। जिस से प्रभावित होकर मर्द आत्माएं उनके समीप आने लगती हैं।
इन सब के अलावा एक कारण यह भी माना जाता है कि श्मशान घाट पर ज्यादातर मर्द आत्मा का ज्यादा वास रहता है, एेसे में अगर कोई महिला श्मशान घाट जाती है तो उन आत्माओं का इनमें प्रवेश करने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए महिलाओं को श्मशान घाट पर जाने की पाबंदी होती है।
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