Tuesday , November 18 2025 11:27 PM
Home / Uncategorized / जमीन-आसमान से भी ज्यादा खतरनाक दिमाग पर कब्जे की ये जंग, सोशल मीडिया के ‘वॉर ऑफ माइंड्स’ को समझिए

जमीन-आसमान से भी ज्यादा खतरनाक दिमाग पर कब्जे की ये जंग, सोशल मीडिया के ‘वॉर ऑफ माइंड्स’ को समझिए


ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान के अंदर आतंकवाद के 9 ठिकानों को सिर्फ 25 मिनट में तबाह कर दिया। यह चार दिनों तक चली जबरदस्त लड़ाई थी, जिसमें हवा, ज़मीन और तकनीक का इस्तेमाल हुआ।
ऑपरेशन सिंदूर में दुनिया ने देखा कि महज 25 मिनट में इंडियन आर्म्ड फोर्सेस ने पाकिस्तान के भीतर आतंक के 9 ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। ये चार दिनों की आसमान, जमीन और टेक्नॉलजी की इंटेंस जंग थी। इस पूरी कवायद के बीच एक ऐसी जंग भी चल रही थी जो किसी बॉर्डर पर नहीं थी बल्कि थी दिमाग पर कब्जे की जंग। ये जंग है कॉग्नेटिव वॉरफेयर (Cognitive Warfare) जिसे दिमागी जंग कह सकते हैं। इस जंग में गोलियों की जगह नैरेटिव चलते हैं और मोर्चा सोशल मीडिया और मोबाइल नोटिफिकेशंस संभालते हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान और इसके बाद भी लगातार चल रही दिमाग पर कब्जे की जंग पर स्पेशल रिपोर्ट-
साल 2025, तारीख 6/7 मई, वक्त – 1 बजकर 51 मिनट। महज तीन शब्दों ने उस रात पूरी दुनिया को वो संदेश दे दिया जो भारत देना चाहता था। इंडियन आर्मी के एक्स हैंडल @adgpi से पोस्ट हुआ— Justice is Served और साथ में ऑपरेशन सिंदूर का लोगो। बस, इतना ही काफी था। तीन शब्दों में जो बात भारत कहना चाहता था वो दुनिया ने साफ-साफ सुन ली। इस पोस्ट ने सोशल मीडिया के इतिहास में एक नया रिकॉर्ड बना दिया।
इसके बाद इंडियन आर्मी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल्स पर कई प्रयोग शुरू किए। कभी राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता तो कभी रॉक म्यूजिक के साथ बनाए वीडियो। लेकिन सवाल यह कि आखिर क्यों? इसका मकसद क्या था और इससे हासिल क्या हुआ?
तेज होती दिमागी जंग – दरअसल, आज की जंग सिर्फ जमीन पर नहीं दिमागों के भीतर भी लड़ी जा रही है। दुनिया भर की सेनाएं जो भी फोटो या वीडियो शेयर करती हैं वो कॉग्नेटिव वॉरफेयर यानी दिमागी जंग का हिस्सा होती हैं। इसमें हथियार नहीं बल्कि सोच और भावनाओं को निशाना बनाया जाता है। मकसद होता है लोगों के विचार, विश्वास, भावनाओं और निर्णयों को प्रभावित करना।