
मौनी अमावस्या पर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, शुक्रवार का दिवस और वरियान योग के साथ होने से धर्म-आध्यात्म और खरीदी समस्त 12 राशि वालों के लिए शुभ-लाभ प्रदान करेगी। एक साल में 12 अमावस्या आती हैं, जिनका अपना-अपना महत्व होता है। मौनी अमावस्या मौन व्रत करने वाली अमावस्या है। मान्यता है कि इस दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था, मनु ध्वनि से ही मौनी घोष की उत्पत्ति हुई। अत: इस अमावस्या को मौनी अमावस्या कह कर संबोधित किया जाता है। आज के दिन मौन व्रत धारण करने का विशेष महत्व है। कहते हैं कि जो व्यक्ति आज के रोज मौन धारण करके व्रत का समापन करता है उसे मुनि पद की प्राप्ति होती है।
सभी 12 राशियों के व्यक्ति भाग्य उदय हेतु बरगद के पेड़ को दूध से सीचें।
इस दिन मौन धारण करके किया गया दान, साधना, तीर्थ स्नान, ब्राह्मण सेवा महापुण्य का वरदान दिलवाती है। आज के दिन किसी भी पवित्र नदी में किया गया स्नान व पितरों के निमित्त पिंडदान-तर्पण अवश्य करना चाहिए।
तिल का दान दिलवा सकता है महावरदान। श्री हरि विष्णु को सफेद तिल बहुत भाते हैं और काले तिल का प्रयोग पितरों के तर्पण में इस्तेमाल होता है। सफेद और काले दोनों तिलों का दान करना चाहिए।
इसके अतिरिक्त कपास, छत्री, ऊनी वस्त्र कंबल आदि दान देना चाहिए। गर्म वस्त्रों का दान करने से राहु एवं शनि की महादशा का नाश किया जा सकता है।
उपरोक्त बताए कामों में से कुछ न कर सकें तो ठंड के मौसम में दूसरों के लिए अलाव जलाए इससे अग्रि देव खुश होते हैं और सूर्य, मंगल एवं गुरु का आशिर्वाद प्राप्त होता है।
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