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भारत-पाकिस्तान युद्ध से क्या मिली सीख, क्या चीनी हथियारों को बहुत ज्यादा दिया गया महत्व, एक्सपर्ट ने बताया


जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी हमलों के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ। चीन ने पाकिस्तान को हथियार और टोही डेटा देकर मदद की। भारत ने पाकिस्तान के चीनी हथियारों को नाकाम कर दिया। भारत ने हवाई श्रेष्ठता साबित की और पाकिस्तान के कई ठिकानों को नष्ट कर दिया।
जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमलों ने भारत और पाकिस्तान में एक क्षेत्रीय संघर्ष को जन्म दिया। 7 से 10 मई तक दोनों देशों के बीच एक छोटी लेकिन निर्णायक सैन्य संघर्ष ने दक्षिण एशिया में सुरक्षा के हालात को बदल दिया। सामरिक मामलों के जानकार ब्रह्मा चेलानी ने बताया कि यह कोई पारंपरिक सीमा संघर्ष नहीं था, बल्कि ड्रोन, क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों और लंबी दूरी की एयर डिफेंस सिस्टम के इस्तेमाल वाला एक हाई-टेक मुकाबला था। इस युद्ध में भारत और पाकिस्तान दो मुख्य पक्ष थे, हालांकि एक तीसरी शक्ति भी अप्रत्यक्ष रूप से इस युद्ध से जुड़ी थी, जिसका नाम चीन था।
चीन ने जमकर की पाकिस्तान की मदद – ब्रह्मा चेलानी ने जापान टाइम्स में लिखा कि चीन ने पाकिस्तान को उन्नत हथियार प्रणालियों और वास्तविक समय उपग्रह टोही डेटा प्रदान किया। इस भागीदारी ने पाकिस्तान के साथ जुड़ाव को चीनी हथियारों के लिए एक परीक्षण में बदल दिया। उन्होंने लिखा कि इस संघर्ष ने पहली बार वास्तविक दुनिया की झलक पेश की कि चीन की प्रमुख सैन्य तकनीकें युद्ध के दौरान कैसे प्रदर्शन करती हैं। इसके निहितार्थ दक्षिण एशिया से कहीं आगे तक फैले हुए हैं – ताइवान, पूर्वी और दक्षिण चीन सागर और वैश्विक हथियार बाजारों तक। इस संक्षिप्त युद्ध से प्राप्त ऑपरेशनल सबक न केवल भारत और पाकिस्तान के लिए, बल्कि टोक्यो से वाशिंगटन तक के सैन्य योजनाकारों के लिए भी मायने रखते हैं।
चीनी हथियारों पर भरोसा करना पड़ा भारी – उन्होंने लिखा,पाकिस्तान ने चीनी सैन्य हार्डवेयर पर बहुत अधिक भरोसा किया। सबसे उल्लेखनीय रूप से, इसने PL-15E एयर-टू-एयर मिसाइलों से लैस J-10C “विगोरस ड्रैगन” लड़ाकू विमानों को तैनात किया, जिसमें 200 किलोमीटर की मारक क्षमता है। इसके अलावा पाकिस्तान ने चीन की HQ-9 लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों को भी तैनात किया। इन प्लेटफार्मों का पहली बार वास्तविक युद्ध में परीक्षण किया गया था। चीनी सैटेलाइट रिकॉनसेंस ने कथित तौर पर पाकिस्तान को सटीक निशाना लगाने में मदद की। यहां तक कि चीन ने भारतीय सैन्य क्षेत्रों पर कवरेज बढ़ाने के लिए कई नए उपग्रहों को तैनात किया था।
भारत के सामने नहीं टिके चीनी हथियार – चेलानी ने अपने लेख में बताया कि पाकिस्तान के चीनी हथियारों के इस्तेमाल के बावजूद परिणाम निर्णायक नहीं थे। J-10C ने भारतीय लक्ष्यों पर कई PL-15E मिसाइलें लॉन्च कीं, लेकिन कोई भी ऐसा सबूत नहीं है, जिससे सटीक निशाना लगाने का सत्यापन किया जा सके। भारत की इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस ने पाकिस्तान से सभी हमलों का सफलतापूर्वक सामना किया और अपनी एयर सुप्रीमेसी को सिद्ध कर दिया। संघर्ष के अंत तक भारतीय हवाई हमलों ने नूर खान और भोलारी सहित प्रमुख पाकिस्तानी हवाई ठिकानों को नष्ट कर दिया था, लेकिन कोई भी पुष्ट जवाबी क्षति नहीं हुई। पाकिस्तान के न्यूक्लियर कमांड और सेना मुख्यालय नूर खान एयरबेस पर हमला विशेष रूप से प्रतीकात्मक था। इस हमले ने बताया कि भारतीय क्रूज मिसाइलों से पाकिस्तान के हाई वैल्यू टारगेट और अच्छी तरह से सुरक्षित संपत्ति भी पहुंच से परे नहीं है।