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चीनी ड्रैगन ने फुफकारा तो एक्‍शन में आए भारत और जापान, पीएम मोदी के दौरे पर पहली बार बड़ा सुरक्षा समझौता, ट्रंप को भी संदेश

चीन लगातार दक्षिण चीन सागर की भौगोलिक स्थिति बदल रहा है और कृत्रित द्वीपों का निर्माण कर रहा है। जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा पर गंभीर असर पड़ रहा है। ऐसे में दोनों देशों ने स्पष्ट संदेश दिया कि वे किसी भी तरह के दबाव या एकतरफा कार्रवाई का विरोध करेंगे और नियम-आधारित व्यवस्था को बनाए रखने के पक्षधर हैं।
डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी ने QUAD देशों को अपनी सुरक्षा खुद मजबूत करने के लिए बाध्य कर दिया है। ऐसे में भारत और जापान ने भविष्य में चीनी आक्रामकता के खिलाफ हाथ मिलाए हैं और महत्वपूर्ण सुरक्षा और टेक्नोलॉजी समझौता किए हैं। शुक्रवार को टोक्यो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिगेरु इशिबा के बीच हुई बैठक के बाद दोनों देशों ने ‘सुरक्षा सहयोग पर संयुक्त घोषणा’ जारी किया है। इस घोषणा में कहा गया कि भारत और जापान एक-दूसरे की रक्षा क्षमताओं और सैन्य तैयारी को मजबूत करेंगे और रक्षा बलों के बीच आपसी तालमेल और कॉर्डिनेशन बढ़ाने के लिए काम करेंगे। सबसे खास ये है कि अब भारत और जापान साथ मिलकर हथियार बनाएंगे और जापानी युद्धपोतों का भारत में आने वाले वक्त में मरम्मत का काम हो सकेगा।
भारत और जापान के बीच ये समझौता उस वक्त हुआ है जब ग्लोबल ऑर्डर में गंभीर फेरबदल हो रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ ने अमेरिका के सहयोगी देशों के विश्वास को तोड़ दिया है। ऐसे में चीन की आक्रामकता को रोकने के लिए नये गठबंधन बनने की संभावना है। हालांकि चीन भी इस मौके को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहा है और वो भारत जैसे देशों को अपने साथ जोड़ने के लिए अपने तरह से चाल चल रहा है। फिर भी एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत और चीन के बीच रिश्ते सामान्य जरूर हो सकते हैं, लेकिन चीन का अंतिम मकसद एशिया में भारत और जापान जैसे देशों के खिलाफ आक्रामकता है।
भारत और जापान के बीच अहम सुरक्षा समझौते – चीन लगातार दक्षिण चीन सागर की भौगोलिक स्थिति बदल रहा है और कृत्रित द्वीपों का निर्माण कर रहा है। जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा पर गंभीर असर पड़ रहा है। ऐसे में दोनों देशों ने स्पष्ट संदेश दिया कि वे किसी भी तरह के दबाव या एकतरफा कार्रवाई का विरोध करेंगे और नियम-आधारित व्यवस्था को बनाए रखने के पक्षधर हैं। भारत और जापान ने साथ मिलकर एडवांस टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट के लिए हाथ मिलाए हैं। ‘डिफेंस इक्विपमेंट एंड टेक्नोलॉजी कोऑपरेशन’ मैकेनिज्म के तहत भविष्य की रक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नए हथियार सिस्टम और उपकरणों का ज्वाइंट प्रोडक्शन किया जाएगा। इसके अलावा पनडुब्बी और फाइटर जेट के इंजन की टेक्नोलॉजी को लेकर भी दोनों देश मिलकर काम करेंगे।
भारत-जापान डिफेंस समझौते की पांच बड़ी बातें
1- दोनों देश साथ मिलकर बनाएंगे हथियार, साथ में टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट
2- ‘यूनिकॉर्न’ नामक एडवांस्ड रेडियो कम्युनिकेशन सिस्टम का संयुक्त विकास
3- इंडो-पैसिफिक में जल, थल और वायु सेना के बीच त्रि-सेवा अभ्यास
4- दोनों देश रक्षा उपकरणों के मरम्मत और रखरखाव के लिए एक-दूसरे की सुविधाओं का उपयोग करेंगे।
5-दक्षिण चीन सागर में चीन की एकतरफा गतिविधियों का विरोध
जापान अपने एडवांस्ड टेक्नोलॉजी जैसे हवाई इंजन और पनडुब्बियों के लिए प्रसिद्ध है। नवंबर में, भारत और जापान ने नौसेना युद्धपोतों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली विशेष संचार प्रणाली विकसित करने के लिए एक संयुक्त परियोजना शुरू की थी। यह प्रणाली ‘यूनिफाइड कॉम्प्लेक्स रेडियो एंटेना’ या ‘यूनिकॉर्न’ कहलाती है, जो सभी संचार कार्यों को एक ही प्रणाली पर इंटीग्रेट करती है। इसे फिलहाल जापानी युद्धपोतों द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है। पिछले साल, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जापान से रक्षा निर्यात पर संवैधानिक प्रतिबंधों को कम करने का आग्रह किया था।