
अंडमान में भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी अचानक सुलगने लगा है, जिसके पीछे 2004 के विनाशकारी भूकंप को कारण माना जा रहा है। वैसे इस इलाके में ज्वालामुखी विस्फोट की घटना नई नहीं है, लेकिन इस बार यह करीब दो दशकों बाद हुआ है।
अंडमान सागर के बैरन द्वीप पर स्थित भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी हफ्ते में दो बार फटने की घटना ने पूरी दुनिया के भूवैज्ञानिकों का ध्यान खींचा है। राहत की बात है कि बैरन द्वीप पर आबादी नहीं है। इस महीने 13 और 20 सितंबर को दो बार यह ज्वालामुखी अचानक सुलग उठा और उससे धधकता हुआ लावा निकलना शुरू हो गया। दक्षिण एशिया के वैज्ञानिकों को प्रकृति की इस घटना पर नजर लगी हुई है। इस बार लगभग दो दशक के बाद यह ज्वालामुखी जलता हुआ नजर आया है।
2004 के भयानक भूकंप में खिसका था प्लेट – ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक 20 सितंबर को ज्वालामुखी में जो दूसरा विस्फोट हुआ, उसके पीछे दो दिन पहले इलाके में 4.2 तीव्रता वाले भूकंप को कारण बताया जा रहा है। दरअसल, बैरन द्वीप भूवैज्ञानिक दृष्टिकोण से उस भूगर्भीय फॉल्ट लाइन पर है, जो 2004 के विध्वंसकारी भूकंप में खिसक गया था, जिसकी वजह से बहुत ही भयावह सुनामी आई थी। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के डायरेक्टर ओपी मिश्रा के मुताबिक यह विस्फोट ज्वालामुखी के मैग्मा चैंबर में ‘कंपन तीव्रता'(shaking intensity) की वजह से हुआ है। बैरन द्वीप करीब 3.2 किलोमीटर चौड़ा और समुद्र तल से करीब 2 किलोमीटर तक ऊंचा है। वैसे समुद्र तल से इसकी औसत ऊंचीई 300 मीटर है।
सुंडा प्लेट के अंदर घुस रहा है भारतीय प्लेट – दरअसल, पश्चिमी अंडमान फॉल्ट में स्थित यह वो क्षेत्र है,जहां भारतीय प्लेट लगातार सुंडा प्लेट के अंदर घुस रहा है, जिसकी वजह से यहां मध्यम से मजबूत भूंकपीय घटनाएं अक्सर देखने को मिलती हैं। ये भूकंप मैग्मा चैंबर में हलचल मचा देते हैं, जो सतह से 18 से 20 किलोमीटर अंदर हैं और इसकी वजह से दरारों और छिद्रों के माध्यम से पिघला हुआ लावा अचानक बाहर निकलना शुरू हो जाता है, जो मौजूदा केस में हुआ है।
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