
अरब प्रायद्वीप के देश संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में विश्व का सबसे प्राचीन ‘पर्ल टाउन’ खोजे जाने का दावा किया गया है. पुरातत्वविदों का कहना है कि उन्हें एक द्वीप पर फारस की खाड़ी में ‘पर्ल टाउन’ मिला है, जो कि 6वीं शताब्दी का है. ‘पर्ल टाउन’ का मतलब ‘मोतियों वाला नगर’ होता है.
जहां ये ‘पर्ल टाउन’ मिलने का दावा किया गया है, वो जगह दुबई से लगभग 50 किमी उत्तर पूर्व में है. अरब के एक प्रमुख न्यूज चैनल ‘अल जजीरा’ की रिपोर्ट में बताया गया है कि विश्व का सबसे प्राचीन ‘पर्ल टाउन’ उम्म अल-क्वैन में सिनियाह द्वीप पर था. जहां पुरातत्वविदों की खोज चल रही थी, उसी दौरान कुछ ऐसी कलाकृतियां मिलीं, जिनसे पता चलता है कि यह जगह कभी हजारों लोगों के लिए घर हुआ करती थी.
खोज के अनुसार, यहां सैकड़ों घर थे, जो 6वीं शताब्दी के अंत में क्षेत्र के पूर्व-इस्लामिक इतिहास के रूप में डेटिंग करते हैं, इससे जुड़े निष्कर्ष न केवल विचित्र हैं, बल्कि दिलचस्प भी हैं.
…तो पैगंबर मोहम्मद साहब से भी पहले थी यह नगरी – गौरतलब हो कि अरब की धरती से इस्लाम के उपदेश देने वाले धर्मगुरू पैगंबर मोहम्मद साहब (Islam’s Prophet Muhammad) का जन्म 571 ई. में हुआ था, जो कि 6वीं सदी मानी गई. वहीं, संयुक्त अरब अमीरात में खोजा गया टाउन भी 1400 साल से पहले का बताया जा रहा है. पुरातत्वविदों ने कहा है कि ‘पर्ल टाउन’ 6वीं शताब्दी का है.
यहां पहली बार पुरातत्वविदों ने ऐसे स्थान को खोजा – संयुक्त अरब अमीरात विश्वविद्यालय में पुरातत्व के एक प्रोफेसर टिमोथी पावर ने कहा कि यह खोज सबसे पुराने नगर का उदाहरण है, जहां विशेष रूप से खलीजी मोती शहर, और दुबई जैसे शहरों के बसने से पहले ‘पुरुखों’ की जमीन होती थी. यदि आप ऐतिहासिक दस्तावेजों को देखते हैं तो उनमें मोती वाले प्राचीन कस्बों का उल्लेख मिलता है, लेकिन यह खोज दर्शाती है कि पहली बार पुरातत्वविदों ने वास्तव में फिजिकली ऐसा स्थान पा लिया है.
समुद्र तट की चट्टानों से बने घरों के अवशेष मिले – अभिलेखों के अनुसार, पुरातत्वविदों को चूने के मोर्टार और समुद्र तट की चट्टानों से बने विभिन्न प्रकार के घर मिले हैं, जिनमें आंगन वाले विशाल घरों से लेकर तंग क्वार्टर तक शामिल हैं, जो बताते हैं कि उस समय किसी प्रकार का सामाजिक स्तरीकरण चल रहा होगा. प्रोफेसर टिमोथी पावर ने कहा, “हालांकि इस साइट पर साल भर रहने के संकेत भी मिलते हैं.”
इसके अलावा, पुरातत्वविदों ने यहां के घरों में डाइविंग वेट के साथ-साथ मोतियों की खोज की है, जिससे यह माना जा सकता है कि यहां मुक्त गोताखोर केवल अपनी सांस काफी देर तक रोककर शीघ्र से शीघ्र समुद्र के नीचे चले जाते थे.
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