Wednesday , December 25 2024 2:03 PM
Home / Uncategorized / पाकिस्तान का ऐतिहासिक गुरुद्वारा हुआ खंडहर, नियमित रखरखाव और आधिकारिक मान्यता की अवहेलना का करना पड़ा सामना

पाकिस्तान का ऐतिहासिक गुरुद्वारा हुआ खंडहर, नियमित रखरखाव और आधिकारिक मान्यता की अवहेलना का करना पड़ा सामना


पाकिस्तान के शुष्क मैदानों के बीच, उपेक्षा और भूले हुए वादों का एक मार्मिक प्रमाण आज भी खड़ा है। यह प्रमाण दफ्तु में श्रद्धेय सूफी कवि और समाज सुधारक बाबा बुल्ले शाह को समर्पित गुरूद्वारा साहिब है, हालांकि ये जीवंत अभयारण्य था जो अब खंडहर हो चुका है। इस गुरूद्वारे की दीवारें ढह चुकी हैं।
बाबा बुल्ले शाह, 17वीं सदी के एक रहस्यवादी, जिन्होंने अपनी भावपूर्ण कविता और समतावादी संदेश के साथ धार्मिक सीमाओं को पार किया। प्रेम, भक्ति और सामाजिक टिप्पणी से ओत-प्रोत उनके छंद, समुदायों में गूंजते रहे, जिससे उन्हें “शाह बुल्ले” की उपाधि मिली। ऐसा कहा जाता है कि दफ्तु में यह गुरुद्वारा 18वीं शताब्दी में बनाया गया था। इस गुरुद्वारे ने आध्यात्मिक सांत्वना और काव्य विरासत से जुड़े लोगों के लिए एक तीर्थ स्थल के रूप में काम करता था।
समय व राजनीतिक बदलावों के कारण इसके नियमित रखरखाव और आधिकारिक मान्यता की अवहेलना का सामना करना पड़ा। उस समय पर इसे काफी बेहतरीन संरचना दी गई थी, जो वर्तमान समय में एक कंकाल बनकर रह गई है। कभी भजनों की धुन और प्रार्थनाओं की गड़गड़ाहट से गूंजता रहने वाला आंगन अब घास-फूस से भर गया है, जो एक समुदाय की आवाज को खामोश करने का प्रतीक है।