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पाकिस्तान को परमाणु परीक्षण न करने के लिए मिला 5 अरब डॉलर का ऑफर… नवाज शरीफ के कबूलनामे की एक-एक बात समझिए


पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का एक बड़ा कबूलनामा सामने आया है। उन्होंने मंगलवार को माना कि पाकिस्तान ने साल 1999 में भारत के साथ किए लाहौर एग्रीमेंट को तोड़ दिया था। इसके अलावा उन्होंने परमाणु परीक्षण को लेकर भी एक बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने उन्हें परमाणु परीक्षण न करने के लिए 5 अरब डॉलर का ऑफर दिया था। लेकिन उन्होंने साफ कह दिया कि वह बिकने वाली कौम नहीं है। एक बार फिर पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) पार्टी का ‘निर्विरोध’ अध्यक्ष चुने जाने के मौके पर वह बोल रहे थे।
नवाज शरीफ ने अपनी पार्टी की एक मीटिंग में कहा, ’28 मई 1998 को पाकिस्तान ने पांच परमाणु परीक्षण किए। उसके बाद वाजपेयी साहब आए और हमारे साथ एक समझौता किया। लेकिन हमने उसका उल्लंघन किया। यह हमारी गलती थी।’ पाकिस्तान ने पूर्व पीएम नवाज शरीफ ने आखिरकार मान ही लिया कि लाहौर समझौता उनके देश की ओर से तोड़ा गया था। परोक्ष रूप से जनरल परवेज मुशर्रफ की ओर से कारगिल पर हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा यह हमारी गलती थी।
भारत-पाकिस्तान में हुआ युद्ध – साल 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ की ओर से लद्दाख के कारगिल जिले में गुप्त घुसपैठ का आदेश दिया गया था। भारत को जब इसका पता चला तो पूर्ण युद्ध शुरू हो गया। नवाज शरीफ तब पीएम थे और भारत ने इस युद्ध को जीत लिया। 28 मई को पाकिस्तान के परमाणु परीक्षण को 26 साल हो गए हैं। इसकी वर्षगांठ पर नवाज ने कहा, ‘राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने 5 अरब डॉलर का ऑफर दिया था कि मैं परमाणु परीक्षण रोक दूं। लेकिन मैंने इनकार कर दिया।’
क्लिंटन ने दिया 5 अरब डॉलर का ऑफर – उन्होंने कहा, ‘हमारा जमीर खरीदने की कोशिश की गई। मैंने साफ कहा क्लिंटन साहब हमारे जमीर का सौदा न करें, हम बिकने वाली कौम नहीं हैं। हमने उस जमाने के 5 अरब डॉलर वापस कर दिए। उन्होंने कहा कि आपके ऊपर प्रतिबंध लग जाएंगे। मैंने कहा कि लगा दीजिए। लगती हैं तो लग जाएं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘अगर मेरी जगह इस जैसा (इमरान खान) कोई आदमी होता तो वह बिल क्लिंटन की बात मान लेता।’ नवाज शरीफ रिकॉर्ड तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने वाले एकमात्र नेता हैं। पनामा पेपर्स से संबंधित भ्रष्टाचार मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण उन्होंने पार्टी अध्यक्ष का पद गंवाना पड़ा था।