भारत और कनाडा के बीच संबंधों में एक बार फिर बढ़े तनाव ने दोनों देशों के लोगों की टेंशन बढ़ा दी है । कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के हालिया एकतरफा रुख का असर वहाँ के भारतीय छात्रों पर पड़ता दिख रहा है।वर्तमान में, कनाडा में लगभग 2.3 लाख भारतीय छात्र अध्ययन कर रहे हैं, जो हर साल 2.10 लाख करोड़ रुपए से अधिक की फीस भरते हैं। ये छात्र न केवल शैक्षिक खर्च में योगदान करते हैं, बल्कि पार्ट टाइम नौकरियों, रियल एस्टेट किराए और परिवहन क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, लगभग 100 कॉलेज भारतीय छात्रों की उपस्थिति पर निर्भर हैं, जिससे कनाडा की 20% अर्थव्यवस्था सीधे या परोक्ष रूप से भारतीय छात्रों से जुड़ी हुई है।
जानकारी के अनुसार कनाडा सरकार ने नए आव्रजन नीतियों की घोषणा की है, जो देश के उच्च शिक्षा क्षेत्र से अरबों डॉलर की कमी का कारण बन सकती हैं। ओंटारियो अकेले अगले दो वर्षों में 1 बिलियन कनाडाई डॉलर का नुकसान देखने की उम्मीद कर रहा है। इंटरनेशनल कंसल्टेंट्स फॉर एजुकेशन एंड फेयर्स (ICEF) मॉनिटर द्वारा मंगलवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय छात्र, जो अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के सबसे बड़े समूह का प्नतिनिधत्व करते हैं, पर इसका असर पड़ेगा, लेकिन असली वित्तीय बोझ कनाडा पर ही पड़ेगा क्योंकि अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में कमी आएगी।
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