
ऑस्ट्रेलिया में ब्रिटेन के बाद भारतीय मूल के लोग दूसरा सबसे बड़ा प्रवासी समूह हैं। जून 2023 तक ऑस्ट्रेलिया में करीब 8.4 लाख भारतीय मूल के लोग रह रहे थे। हालिया दिनों में भारतीयों पर हमले बढ़े हैं।
ऑस्ट्रेलिया में भारतीय मूल के लोगों के लिए विरोध बढ़ रहा है। रविवार को हजारों ऑस्ट्रेलियाई लोगों ने देश के 20 शहरों में बड़े पैमाने पर इमिग्रेशन के विरोध में मार्च निकाला है। इस मार्च में खासतौर से भारतीय मूल के लोग ऑस्ट्रेलियाई लोगों के निशाने पर रहे। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इन विरोध प्रदर्शनों के पीछे कौन लोग हैं और वे भारतीयों का विरोध क्यों कर रहे हैं। दरअसल इसकी वजह ऑस्ट्रेलिया में बढ़ती बेरोजगारी और घरों का संकट है।
ऑस्ट्रेलिया में ज्यादातर आबादी आप्रवासियों की है।ब्रिटेन के बाद भारत में जन्मे लोग ऑस्ट्रेलिया में दूसरा सबसे बड़ा प्रवासी समूह हैं। जून 2023 तक, ऑस्ट्रेलिया में 8.4 लाख भारतीय मूल के निवासी थे। 2024 में ऑस्ट्रेलिया की आबादी में उनकी कुल संख्या केवल 3.2 प्रतिशत थी। ऐसे मेंबढ़ती महंगाई, घरों के संकट और बेरोजगारी की मार झेल रहे ऑस्ट्रेलियाई लोगों के निशाने पर भारतीय आ रहे हैं।
ऑस्ट्रेलियाई में बढ़ती भारतायों की संख्या – साल 2000 के बाद से ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों का आप्रवासन लगातार बढ़ रहा है। ऑस्ट्रेलिया के सत्तारूढ़ और विपक्षी ऑस्ट्रेलियाई राजनेता भारतीय समुदाय के सकारात्मक योगदान को स्वीकार करते हैं। इसके उलट श्वेत वर्चस्ववादी और कुछ दक्षिणपंथी समूहों को लगता है कि ईसाई धर्म के अलावा अन्य धर्मों और रंग के लोगों को यहां नहीं रहना चाहिए। ऐसे ही संगठन भारतीयों को विरोध में रैलियां निकाल रहे हैं।
Massive protests against immigrants, especially Indians, in Australia.
— Tarun Gautam (@TARUNspeakss) September 1, 2025
They're treating Indians the way Indian RW treats Bangladeshi immigrants & Rohingyas. pic.twitter.com/mVz7Y3OsfU
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