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केंद्र ने चीन सीमा के पास हाइड्रो प्रोजेक्ट को दी ग्रीन मंजूरी, समझें क्या हैं मायने


चीन की तरफ से तिब्बत में सबसे बड़ा बांध बनाने की खबर के बीच अरुणाचल से एक बड़ी खबर आई है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने प्रदेश के सबसे ऊंचे तीसरे बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट की ग्रीन क्लियरेंस दे दिया है।
चीन की तरफ से तिब्बत में यारलुंग सांग्पो नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाया जा रहा है। इस बांध को भारत के लिए बड़ी चिंता की वजह बताया जा रहा है। इस बीच केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की एक विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति ने चीन की सीमा से लगे अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी जिले में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में स्थित 2,220 मेगावाट की ओजू जलविद्युत परियोजना को मंजूरी दे दी है। यह भारत की सबसे बड़ी नदी-प्रवाह जलविद्युत परियोजनाओं में से एक है। इस परियोजना पर लगभग 25,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके पूरा होने में कम से कम पांच साल लगने की संभावना है।
अरुणाचल की तीसरी सबसे बड़ी परियोजना – यह अरुणाचल प्रदेश में ही स्थित 3,087 मेगावाट की एटालिन और 2,880 मेगावाट की दिबांग परियोजनाओं के बाद पर्यावरणीय मंज़ूरी पाने वाली भारत की तीसरी सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना है। ओजू, सुबनसिरी नदी पर प्रस्तावित बांधों की श्रृंखला में सबसे बड़ा है और लगभग 20 वर्षों से निर्माणाधीन है। इसमें 100 मीटर ऊँचा कंक्रीट का गुरुत्व बांध, 14 किलोमीटर से अधिक लंबी हेडरेस सुरंग और एक भूमिगत बिजलीघर परिसर शामिल है।
रियल टाइम अर्ली वॉर्निंग सिस्टम – विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति ने इस महीने की शुरुआत में परियोजना को अपनी मंज़ूरी देते हुए, डेवलपर को बाढ़ के अनुमानों के डिज़ाइन में ‘हिमनद झील के फटने से होने वाली बाढ़’ के परिदृश्यों को शामिल करने, एक वास्तविक समय पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करने और सामुदायिक तैयारी अभ्यास करने का निर्देश दिया है। समिति ने पाँच वर्षों के बाद कमीशनिंग के बाद पर्यावरणीय प्रभाव अध्ययन का भी आदेश दिया है।