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हिटलर ने बनाई थी दुनिया की सबसे बड़ी तोप, 12 फुट का लगता था गोला, एक बार चली और फिर हो गई गायब


दुनिया में आज के समय हथियारों की रेस चल रही है। लेकिन एक समय नाजी सेना ने ऐसी तोप बनाई थी, जिसे आज तक फिर किसी ने नहीं बनाया। ये दुनिया की सबसे बड़ी तोप थी, जिसका वजन 1490 टन था। वहीं इसमें लगने वाले गोले 12 फीट के होते थे। जर्मन इसे चमत्कारी हथियार कहते थे। इसका असली नाम श्वेरर गुस्ताव रेलवे गन था, जिसे दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान तैनात किया गया था। यह तोप इतनी बड़ी थी कि इसके सामने खड़े होने पर लगता था कि आप किसी चार मंजिला इमारत को देख रहे हैं।
इसका आकार 140 फीट लंबा और 20 फीट चौड़ा था। इस हथियार का बैरल 100 फीट लंबा था और दो प्रकार के गोले दाग सकता था। एक गोला 4800 किग्रा का हाई विस्फोटक वाला और दूसरा 7500 किग्रा वाला कंक्रीट भेदी गोला था। इसका एक गोला दो इंसानों से भी बढ़ा रहता था। इस बंदूक को चलाने और एक राउंड फायर करने में सैकड़ों लोगों की जरूरत होती थी। बंदूक का कैलिबर 31 इंच का होता था, जो लगभग 50 किलोमीटर दूर मौजूद दुश्मन को तबाह कर सकता था।
सोवियत के खिलाफ इस्तेमाल हुई तोप – इस विशालकाय बंदूक को मई 1936 में स्टील कंपनी क्रुप ने डिजाइन किया था। 1940 में फ्रांस पर जर्मन आक्रमण में सहायता के लिए इसे बनाया गया था, लेकिन बाद में इसका इस्तेमाल सिर्फ सोवियत संघ के खिलाफ किया गया था। उस दौर में ऐसी विशाल तोप कोई हैरानी की बात नहीं थी। ब्रिटेन के पास 39 टन की तोप मौजूद थी। जर्मनी ने 1914 में 47 टन की बिग बर्था भी विकसित की थी। हिटलर ने भी ऐसी ही एक तोप बनाने का सपना देखा था जो लक्ष्य भेदने के साथ दुश्मन के दिलों में खौफ पैदा कर दे।
हमेशा के लिए गायब हो गई तोप – 1930 तक नाजी ऐसा हथियार बनाने लगे थे, जो 22 फीट मोटी कंक्रीट और कम से कम 3 फीट ठोस स्टील को छेद सके। दूसरे शब्दों में हिटलर ऐसा हथियार चाहता था, जैसा दुनिया ने आजतक न देखा हो। नाजियों ने इस बंदूक को पहली बार 1942 में टेस्ट किया। कथित तौर पर सेवस्तोपोल की घेराबंदी के लिए इस बंदूक को भेजने से पहले 1000 से ज्यादा लोगों की टीम ने बंदूक को जोड़ने में कई सप्ताह लगाए। इस बंदूक को सेवस्तोपोल की लड़ाई में तैनात किया गया, जहां इसने अंडर ग्राउंड डिपो को तबाह कर दिया। इसके बाद हथियार को लेनिनग्राड ले जाया गया। इसके बाद इसका कभी इस्तेमाल नहीं हुआ। बाद में जब सोवियत सेना ने नाजी जर्मनी को खदेड़ दिया तो हथियार हमेशा के लिए सैन्य रिकॉर्ड से गायब हो गया। संभावना जताई जाती है कि जर्मन लोगों ने ही इसे नष्ट कर दिया, ताकि यह दुश्मनों के हाथ न लगे।