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जापान ने लॉन्च किया ‘चंद्रयान’, चार महीने बाद चांद पर पहुंचेगा SLIM


चांद पर पहुंचने की दुनिया भर के देश कोशिश कर रहे हैं। चांद पर पहुंचने के लिए अब जापान ने अपना अंतरिक्ष यान लॉन्च किया है। विफलता और देरी के बाद गुरुवार की सुबह जापान ने चंद्रमा मिशन लॉन्च किया। जापान ऐसा करके चांद पर जाने वाला पांचवा देश बनना चाहता है। स्थानीय समय के मुताबिक सुबह 8.42 बजे (भारतीय समय 5.12) H2-A रॉकेट जापान के तनेगाशिमा अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक जापान के अंतरिक्ष यान को चांद की कक्षा में पहुंचने में 3-4 महीने लगेंगे और अगले साल की शुरुआत में इसके उतरने की उम्मीद है।
रॉकेट के जरिए दो अंतरिक्ष यान लॉन्च किए गए हैं। पहला एक एक्स-रे टेलीस्कोप और दूसरा एक हल्का चंद्रमा लैंडर है, जो भविष्य में चंद्रमा लैंडिंग तकनीक के आधार के रूप में काम करेगा। यह टेलीस्कोप सुबह 8.56 बजे अलग हो गया और चंद्रमा लैंडर 9.29 बजे अलग हुआ। गुरुवार की लॉन्चिंग ने जापान के अंतरिक्ष प्रोग्राम की प्रतिष्ठा दांव पर लगा दी है। क्योंकि भारत हाल ही में चांद पर उतरने वाला चौथा देश और चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जाने वाला पहला देश बन गया।
जापान के लिए कामयाबी जरूरी – पिछले महीने जहां भारत का चंद्रयान-3 मिशन सफल रहा तो वहीं रूस का लूना-25 क्रैश हो गया था। मई में जापान का भी मिशन क्रैश हुआ था। वहीं, चीन ने अपने तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन का काम पूरा कर लिया है। वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक जापानी स्पेस पॉलिसे एक्सपर्ट काजुटो सुजुकी ने कहा, ‘यह जापानी अंतरिक्ष समुदाय के लिए निर्णायक क्षण है।’ गुरुवार को हुई लॉन्चिंग विश्व स्तर पर चंद्रमा के एक्सप्लोरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस मिशन की सफलता जापान को प्रथम श्रेणी के ग्रुप में शामिल करेगी।’
मून स्नापर किया लॉन्च – जापान ने ‘स्मार्ट लैंडर फॉ इन्वेस्टिगेंटिंग मून’ (SLIM) लॉन्च किया है। सुपर सटीक पिनपॉइंट लैंडिंग टेक्नोलॉजी के कारण इसे मून स्नाइपर भी कहा जा रहा है। SLIM का लक्ष्य अपने टार्गेट से 100 मीटर के दायरे में उतरना है। पारंपरिक लैंडर की तुलना में यह बेहद कम दूरी है, क्योंकि आम तौर पर लैंडर की सटीकता कई किमी होती है। SLIM में एडवांस इमेजिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हुआ है, जिसके जरिए जापान चीनी अंतरिक्ष कार्यक्रम को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दे रहा है। SLIM के डेटा का इस्तेमाल नासा के आर्टेमिस मिशन में भी किया जाएगा।