
नौसेना को सीरीज का पहला स्वदेशी एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट आईएनएस ‘माहे’ मिल गया है। यह उथले पानी में बारूदी सुरंग बिछाने में माहिर है। इससे नौसेना की समुद्र तटीय सुरक्षा क्षमता में वृद्धि होगी। ये जहाज कई तरह के अत्याधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस हैं।
भारतीय नौसेना को गुरुवार को उथले पानी के पनडुब्बी रोधी 8 जहाजों ( Anti-Submarine Warfare Shallow Water Crafts-ASW SWCs) की श्रृंखला वाला पहला युद्धपोत आईएनएस’माहे’सौंप दिया गया है। इसे कोच्चि स्थित कोचीन शिपयार्ड (CSL) ने स्वदेशी तरीके से ही डिजाइन किया और फिर बनाकर तैयार किया है। सीएसएल के अनुसार 78 मीटर लंबा यह युद्धपोत डीजल इंजन-वॉटरजेट कॉम्बिनेशन से चलने वाला भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा युद्धपोत है।
समंदर के अंदर दुश्मन की तबाही है ‘माहे’ – आईएनएस ‘माहे’ की डिजाइन पानी के अंदर सर्विलांस, सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने के लिए ही की गई है। इसके साथ ही यह कम तीव्रता वाले समुद्री अभियानों को अंजाम देने में भी माहिर है। आईएनएस ‘माहे’ समुद्र के तटीय क्षेत्रों में पनडुब्बी रोधी युद्ध लड़ने में सक्षम है और यह समंदर के भीतर बारूदी सुरंग बिछाने की उन्नत क्षमता (advanced mine laying capabilities) से भी लैस है। इसके मिलने के साथ ही भारतीय नौसेना उथले पानी में दुश्मन के पनडुब्बियों के खिलाफ युद्ध लड़ने की क्षमता से लैस हो गई है। अब दुश्मन अगर समंदर के अंदर से भी भारतीय सुरक्षा में सेंध लगाने की कोशिश करेगा, तो उनकी तबाही लिख दी गई है।
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