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अफगानिस्तान-पाकिस्तान में हिंसक टकराव…भारत के लिए क्यों हो सकता है खतरनाक?


अफगानिस्तान-पाकिस्तान की बीच चल रहा हिंसक टकराव बड़े संघर्ष में भी बदल सकता है। इसके पीछे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) है। पाकिस्तान के हमले की टाइमिंग संदिग्ध है, क्योंकि यह भारत-अफगानिस्तान के बढ़ते संबंधों के समय शुरू किया गया है। पाकिस्तान में पहले से ही अशांति का माहौल है और यह स्थिति भारत के लिए भी सही नहीं है।
अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर ताजा टकराव और उसमें हुई मौतों से इसके बड़े संघर्ष में तब्दील होने की आशंका बढ़ गई है। दोनों देशों में इस तनाव का तात्कालिक कारण तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) फैक्टर है। भारत इन तथ्यों से मुंह नहीं मोड़ सकता कि पाकिस्तान ने तालिबान शासित अफगानिस्तान पर यह हमला तब शुरू किया जब अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमीर खान मुत्तकी भारत यात्रा पर पहुंचे; और फिर से ताजा टकराव तब शुरू हुआ, जब वे 6 दिनों की भारत की सफल यात्रा पूरी करके काबुल लौटने की तैयारी में थे।
पाकिस्तान-अफगानिस्तान में बढ़ रहा संघर्ष – ताजा हालात ये है कि तालिबान के लड़ाकों की जवाबी कार्रवाई में सीमा पर तैनात और विवादित डुरंड लाइन पर मौजूद पाकिस्तानी सैनिक भी बड़ी संख्या में हताहत हुए हैं। सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल है, जिसमें तालिबान आर्मी कमांडरों को पाकिस्तानी जवानों के शवों के साथ देखा जा रहा है या फिर उन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों को बंधक बना रखा है या फिर पाकिस्तानी जवान उल्टे पांव भागते दिख रहे हैं। ET की एक रिपोर्ट के मुताबिक अकेले ओरोकजाई जिले में घिलजो इलाके के पास कम से कम 6 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए। अफगान मीडिया के अनुसार कंधार के स्पिन बोल्डक जिले में भीषण संघर्ष के बाद पाकटिका प्रांत में हिंसक भिड़ंत हुई है। अफगान मीडिया ने सुरक्षा सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि अफगानी सुरक्षा बलों ने पाकिस्तानी सेना को स्पिन बोल्डक गेट से भगा दिया है।
पाकिस्तान के हमले की टाइमिंग संदिग्ध – इस समय पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के खिलाफ जो मोर्चा खोला है, उसके पीछे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के कथित रूप से अफगानिस्तान में मौजूदगी का दावा किया जा रहा है। हालांकि, तालिबान के मौजूदा प्रशासन ने इससे साफ इनकार किया है। जानकारी के अनुसार पाकिस्तान की असीम मुनीर की सेना ने टीटीपी के खिलाफ अभियान छेड़ने के बाद काबुल से कहा है कि इसके सरगनाओं को उसे सौंप दे। लेकिन, मुनीर ने जिस तरह से इस अभियान की टाइमिंग चुनी है, उसके पीछे भारत-अफगानिस्तान में फिर से स्थापित हो रही राजनयिक संबंधों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। क्योंकि, टीटीपी के अफगान में मौजूदगी का आरोप पाकिस्तान आज से नहीं लगा रहा है।