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कहानी : सुख की माया में खोया मन

                                                                                                                         

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प्रस्तुति : मयंक गुप्ता                                                     

?मित्रौ एक इंसान घने जंगल में भागा जा रहा था, शाम हो गई थी..

?अंधेरे में कुआं दिखाई नहीं दिया और वह उसमें गिर गया, गिरते-गिरते कुएं पर झुके पेड़ की एक डाल उसके हाथ में आ गई..

?जब उसने नीचे झांका, तो देखा कि कुएं में चार अजगर मुंह खोले उसे देख रहे हैं, और जिस डाल को वह पकड़े हुए था, उसे दो चुहे कुतर रहे थे..

?इतने में एक हाथी आया और पेड़ को जोर-जोर सें हिलाने लगा, वह घबरा गया और सोचने लगा कि हे भगवान अब क्या होगा..

 

?उसी पेड़ पर मधुमक्खियों का छत्ता लगा था, हाथी के पेड़ को हिलाने से मधुमक्खियां उडऩे लगीं और शहद की बुंदें टपकने लगीं..

?एक बुंद उसके होठों पर आ गिरी, उसने प्यास सें सुख रही जीभ को होठों पर फेरा, तो शहद की उस बुंद में गजब की मिठास थी..

?कुछ पल बाद फिर शहद की एक और बुंद उसके मुंह में टपकी, अब वह इतना मगन हो गया कि अपनी मुश्किलों को भुल गया..

?तभी उस जंगल सें शिव एवं पार्वती अपने वाहन सें गुजरे, पार्वती ने शिव सें उसे बचाने का अनुरोध किया.

?भगवान शिव ने उसके पास जाकर कहा-मैं तुम्हें बचाना चाहता हुं, तुम मेरा हाथ पकड़ लो..

?उस इंसान ने कहा कि एक बुंद शहद और चाट लुं, फिर चलता हुं..

?एक बुंद, फिर एक बुंद और हर एक बुंद के बाद अगली बुंद का इंतजार..

?आखिर थक-हारकर शिवजी चले गए……|

?वह जिस जंगल में जा रहा था, वह जंगल है दुनिया..

?और अंधेरा है अज्ञान..

?पेड़ की डाली है:- आयु दिन-रात रूपी चुहे उसे कुतर रहे हैं..

?घमंड का मदमस्त हाथी पेड़ को उखाडऩे में लगा है..

?शहद की बुंदें सांसारिक सुख हैं, जिनके कारण मनुष्य खतरे को भी अनदेखा कर देता है..

?यानी, सुख की माया में खोए मन को भगवान भी नहीं बचा सकते..