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आ कि मेरी जान को क़रार नहीं है : ग़ालिब

• मिर्ज़ा असदुल्लाह खाँ ‘ग़ालिब’ जन्म : 27 दिसम्बर 1797 | निधन : 15 फ़रवरी 1869 आ कि मेरी जान को क़रार नहीं है ताक़ते-बेदादे-इन्तज़ार नहीं है देते हैं जन्नत हयात-ए-दहर के बदले नश्शा बअन्दाज़-ए-ख़ुमार नहीं है गिरिया निकाले है तेरी बज़्म से मुझ को हाये! कि रोने पे इख़्तियार नहीं है हम से अबस है गुमान-ए-रन्जिश-ए-ख़ातिर ख़ाक में उश्शाक़ की …

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विवशता

• सुमन कुमार घई पैराग्रीन बाज़ों के जोड़े ने शहर के मध्य एक ऊँची इमारत की खिड़की के बाहर कंक्रीट की शेल्फ़ को अपने अंडे देने के लिए चुना था। पता नहीं प्रकृति की गोद की चट्टान की बजाय शहर की चट्टानी इमारत उन्हें अपने बच्चे पालने के लिए क्यों अच्छी लगी थी। शहर के समाचार पत्रों में सुर्खियाँ थीं, …

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हंगामा है क्यूँ बरपा

• अकबर इलाहाबादी जन्म: 16 नवम्बर 1846 निधन: 9 सितम्बर 1921 हंगामा है क्यूँ बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है डाका तो नहीं डाला, चोरी तो नहीं की है ना-तजुर्बाकारी से, वाइज़[1] की ये बातें हैं इस रंग को क्या जाने, पूछो तो कभी पी है उस मय से नहीं मतलब, दिल जिस से है बेगाना मक़सूद[2] है उस …

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कभी जब तेरी याद आ जाय है

• फ़िराक़ गोरखपुरी जन्म: 28 अगस्त 1896 | निधन: 1982 कभी जब तेरी याद आ जाय है दिलों पर घटा बन के छा जाय है शबे-यास में कौन छुप कर नदीम1 मेरे हाल पर मुसकुरा जाय है महब्बत में ऐ मौत ऐ ‍‍ज़ि‍न्दगी मरा जाय है या जिया जाय है पलक पर पसे-तर्के-ग़म2 गाहगाह सितारा कोई झिलमिला जाय है तेरी याद …

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अँधा कौन ?

• प्रतीक माहेश्वरी बचपन उस अंधे को देखकर यौवन हो गया था… जब अंकुर अपनी माँ के साथ मंदिर से बाहर आता तो उसे देख कर विस्मित हो जाता.. उसे दुःख होता… एक दिन वह अपने दुःख का निवारण करने उस अंधे के पास पहुंचा.. पहुंचा और बोला – “बाबा, अँधा होने का आपको कोई गम है?” अँधा बोला – “बेटा, …

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आत्मा की आवाज़

• डॉ. प्रेम जनमेजय आजकल आत्मा की आवाज़ की जैसे सेल लगी हुई है। जिसे देखो वो ही आत्मा की आवाज़ सुनाने को उधार खाए बैठा है। आप न भी सुनना चाहें, तो जैसे क्रेडिट कार्ड, बैकों के उधारकर्त्ता, मोबाईल कंपनियों के विक्रेता अपनी कोयल-से मधुर स्वर में आपको अपनी आवाज़ सुनाने को उधार खाए बैठे होते हैं वैसे ही आत्मा …

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सांप्रदायिकता से जूझते अफ़सानानिगार मंटो

• अरुण प्रसाद रजक सआदत हसन मंटो का पूरा संघर्ष आदमीयत या इंसानियत के लिए था। वे जानते थे कि अहसास के शुरुआती छोर से लेकर आखिरी छोर तक एक इन्सान सिर्फ इन्सान है, उससे बड़ा न कोई धर्म है, न मज़हब, न व्यवस्था। मंटो आदमीयत के इस अहसास से अच्छी तरह वाकिफ़ थे। उनके अफ़सानों का सरोकार न राजनीति से …

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तू खाली भाव कम कर

तू खाली भाव कम कर…..  ऑडी कार का सी ई ओ, कार के इतने अधिक कीमती होने को वाजिफ बताते हुए ऑडी की खूबियाँ गिना रहा था.. इसमें 12 एयर बैग्स हैं.. सेफ्टी सैंडर्स और सेफ्टी पार्किंग एसिस्टेंस हैं.. साथ ही अन्य सुरक्षा व्यवस्थाएं.. इन्डियन खरीददार उसकी बात काटते हुए बोला.. “भाई तू सेफ्टी की ज़रा भी चिंता ना कर.. …

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सोनू पैराशूट बेच रहा था…

सोनू पैराशूट बेच रहा था… हवाई जहाज से कूदो, बटन दबाओ और जमीन पर सुरक्षित पहुंच जाओ। ग्राहक: अगर पैराशूट नहीं खुला तो क्या होगा? सोनू- तो पैसे वापिस। नॉमिनी का नाम नोट करा दो। ******************************** जज- क्या सबूत है कि जब एक्सीडेंट हुआ, तब तुम कार तेज नहीं चला रहे थे? कार चालक- साहब, मैं अपनी पत्नी को लेने …

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