अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA के हेलिकॉप्टर ने अब तक कई सफल उड़ानें पूरी कर ली हैं। हेलिकॉप्टर Ingenuity ने न सिर्फ अपनी पांचवीं फ्लाइट पूरी की है बल्कि एक वन-वे ट्रिप भी कर डाली। Perseverance Rover से अलग होकर Jezero Crater की Wright Brothers Fields में फ्लाइट टेस्ट कर रहे हेलिकॉप्टर ने दक्षिण की ओर 129 मीटर दूर उड़ान तय की। वहीं, इससे पहले चौथी फ्लाइट के दौरान पहली बार हेलिकॉप्टर के रोटर ब्लेड्स की आवाज भी सुनाई दी है।
नए फेज में पहुंचा Ingenuity : पांचवी फ्लाइट के दौरान नई एयरफील्ड में पहुंचकर हेलिकॉप्टर ने 10 मीटर की ऊंचाई भी छुई। यहां लैंड होने से पहले इसने हाई-रेजॉलूशन तस्वीरें भी लीं। Ingenuity की मदद से अभी तक रोटरक्राफ्ट टेक्नॉलजी की धरती के अलावा किसी और ग्रह पर सफलता को टेस्ट किया जा रहा था। अब यह नए फेज में पहुंच चुका है जहां मंगल पर इसके इस्तेमाल को समझा जाएगा।
अब क्या करेगा हेलिकॉप्टर : यह हेलिकॉप्टर लाल ग्रह की स्काउटिंग करेगा, ऐसे कोनों में जाएगा जहां रोवर या भविष्य में ऐस्ट्रोनॉट्स का जाना मुश्किल हो, ऑर्बिटर की नजर से बचने वाले नजारों को करीब से कैद करेगा। पांचवी उड़ान 108 सेकंड की थी। इस बार की लैंडिंग साइट चौथी फ्लाइट के दौरान इकट्ठा किए डेटा के आधार पर तय की गई थी। पिछली फ्लाइट के दौरान ऐसी जगह खोजी गई थी जो समतल हो और बीच में कोई रुकावट न हो।
यह आगे चलकर सौर ऊर्जा से भी चार्ज होगा जो मंगल पर धरती की तुलना में कम है लेकिन इसमें हाई-टेक सोलर पैनल लगे हैं जो यह काम आसान कर देंगे। हालांकि, बाद में इसका तापमान कम रखा जाएगा ताकि बैटरी ज्यादा खर्च न हो। मंगल पर रात को 130 डिग्री F तक तापमान गिर सकता है और पहली रात इसे झेलने के बाद अगले दिन टीम देखेगी कि Ingenuity का प्रदर्शन कैसा रहा। न सिर्फ यह देखा जाएगा कि क्या हेलिकॉप्टर चल रहा है, बल्कि इसके सोलर पैनल, बैटरी की हालत और चार्ज चेक करेगी और अगले कुछ दिन तक इन पैमानों को ही टेस्ट किया जाएगा।
इस कदम को पूरा करने के बाद इसके रोटर ब्लेड्स को अनलॉक किया जाएगा और इसके मोटर और सेंसर टेस्ट किए जाएंगे। मंगल के 30 दिन (धरती के 31 दिन) बाद इसकी एक्सपेरिमेंटल फ्लाइट की कोशिश होगी। NASA के मुताबिक अगर हेलिकॉप्टर टेक ऑफ और कुछ दूर घूमने में सफल रहा तो मिशन का 90% सफल रहेगा। अगर यह सफलता से लैंड होने के बाद भी काम करता रहा तो चार और फ्लाइट्स टेस्ट की जाएंगी। यह पहली बार किया जा रहा टेस्ट है इसलिए वैज्ञानिक इसे लेकर बेहद उत्साहित हैं और हर पल कुछ नया सीखने की उम्मीद में हैं।
मंगल पर रोटरक्राफ्ट की जरूरत इसलिए है क्योंकि वहां की अनदेखी-अनजानी सतह बेहद ऊबड़-खाबड़ है। मंगल की कक्षा में चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर ज्यादा ऊंचाई से एक सीमा तक ही साफ-साफ देख सकते हैं। वहीं रोवर के लिए सतह के हर कोने तक जाना मुमकिन नहीं होता। ऐसे में ऐसे रोटरक्राफ्ट की जरूरत होती है जो उड़ कर मुश्किल जगहों पर जा सके और हाई-डेफिनेशन तस्वीरें ले सके। 2 किलो के Ingenuity को नाम भारत की स्टूडेंट वनीजा रुपाणी ने एक प्रतियोगिता के जरिए दिया था।
सुनाई दी Ingenuity की आवाज : चौथी फ्लाइट के दौरान NASA को हेलिकॉप्टर की आवाज भी सुनाई दी। यह आवाज थी Ingenuity के रोटर ब्लेड्स की। हालांकि, यह काफी धीमी है लेकिन सुनी जा सकती है। इस दौरान इसके रोटर ब्लेड एक मिनट में 2500 बार घूम रहे थे। यह 262 फीट दूर खड़े Perseverance रोवर के माइक्रोफोन्स में कैद हुई है। ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी ग्रह पर एक स्पेसक्राफ्ट ने दूसरे की आवाज कैद की हो।
🎧 Headphones on: During the #MarsHelicopter's fourth flight, the @NASAPersevere rover used one of its two microphones to listen in. It's the first time a spacecraft on another planet has recorded the sounds of a separate spacecraft. Details: https://t.co/k1ryyRXHA4 pic.twitter.com/g6UUVugRtC
— NASA Mars (@NASAMars) May 7, 2021