
जापान की अंतरिक्ष एजेंसी ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसके चंद्र मिशन का ‘लैंडर’ अपने निर्धारित लक्ष्य तक सफलतापूर्वक पहुंच गया है लेकिन जांच से ऐसा प्रतीत होता है कि वह उल्टा है। ‘स्मार्ट लैंडर’ या ‘स्लिम’ मिशन के शनिवार को चांद पर पहुंचने के बाद जापान चांद पर पहुंचने वाला दुनिया का पांचवां देश बन गया था। लेकिन सौर बैटरियों की तकनीकी समस्या के कारण पहले तो यह पता लगाना मुश्किल हो गया था कि यह अपने निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचा या नहीं। स्थानीय समयानुसार शनिवार तड़के जापानी अंतरिक्ष यान चंद्रमा की सतह पर उतरा था।
लैंडर के मुख्य इंजनों में से एक ने चंद्रमा की सतह से लगभग 50 मीटर (54 गज) ऊपर अपेक्षित कार्यबल खो दिया, जिसके कारण नियोजित लैंडिंग नहीं हो सकी थी। कुछ दिनों के आंकड़ों के विश्लेषण के बाद ‘जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी’ या जाक्सा ने कहा कि अंतरिक्ष यान अपने लक्ष्य से लगभग 55 मीटर (60 गज) दूर, शियोली क्रेटर के निकट उतरा, जो ज्वालामुखी चट्टान से ढका हुआ क्षेत्र है।
चंद्र मिशन के लैंडर ने सतह की बॉक्स के आकार की कुछ तस्वीरें भेजी हैं लेकिन यह उल्टी दिखाई दी। जाक्सा के परियोजना प्रबंधक शिनिचिरो साकाई ने कहा कि भेजी गई तस्वीरें बिल्कुल वैसी ही थीं जैसी उन्होंने कल्पना की थी और कंप्यूटर ग्राफिक्स में देखी थीं। जापान से पहले अमेरिका, सोवियत संघ, चीन और भारत चंद्रमा की सतह पर पहुंचे थे। भारत पिछले साल चांद पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया था।
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