Monday , June 30 2025 8:32 AM
Home / Lifestyle / सांस लेने पर होती है घरघराहट? सिकुड़ गई है सांस की नली, डॉ. के पास जाकर होगा इलाज

सांस लेने पर होती है घरघराहट? सिकुड़ गई है सांस की नली, डॉ. के पास जाकर होगा इलाज


अस्थमा के सामान्य लक्षणों में सांस लेने में तकलीफ, घरघराहट और खांसी शामिल है। लेकिन सांस की सभी घरघराहट केवल अस्थमा के कारण ही नहीं होती है। सांस में होने वाली घरघराहट के क्या कारण हैं और कब ये समस्या शुरू होती है, आइए जानते हैं।
घरघराहट आमतौर पर वायु मार्ग के संकुचन की वजह से होती है, जो अस्थमा का एक लक्षण है। इस बारे में मेक्स हेल्थकेयर में वरिष्ठ सलाहकार और पल्मोनोलॉजी डॉ. तिलक राज डंगवाल कहते हैं कि अस्थमा में फेफड़ों तक हवा पहुंचने में दिक्कत होती है। खासतौर पर सर्दी और बारिश के मौसम में नमी की वजह से फेफड़ों के वायुमार्ग में सूजन बढ़ जाती है, जिसकी वजह से अस्थमा के अटैक आने का खतरा ज्यादा रहता है।
जिनके लंग्स कमजोर होते हैं, उनके लिए ठंडी हवाएं चुनौतियों का कारण बन सकती हैं। यह आपके रेस्पिरेटरी सिस्टम की आंतरिक परत को प्रभावित करता है और आपके वायुमार्ग को अधिक सेंसिटिव बनाती है।
घरघराहट होने के कारण – प्रयाग हॉस्पिटल में फिजिशियन संजय महाजन कहते हैं कि घरघराहट, सांस की नलियों के ब्लॉक होने या उनमें संकुचन की वजह से होती है। संकुचन होने की इनमें से एक या ज्यादा वजहें हो सकती हैं। सांस नलियों के टिश्यूज में सूजन होना, वायु नलियों की परत में मौजूद छोटी मांसपेशियों में ऐंठन, वायु नलियों में बलगम का इकठ्ठा होना आदि भी घरघराहट के कारण होते हैं।
Respiratory Disease सांस से जुड़ी समस्याओं का कारण और सही उपचार, देखें वीडियो
आमतौर पर बचपन में होती है यह बीमारी – अस्थमा किसी भी उम्र में हो सकता है पर आमतौर पर यह बचपन में होता है। खासकर जीवन के पहले 5 सालों में। कुछ बच्चों में वयस्क होने तक भी अस्थमा की शिकायत बनी रहती है, तो वहीं अन्य बच्चों में अस्थमा बचपन में ठीक हो जाता है। हाल ही के कुछ दशकों में अस्थमा की बीमारी बहुत आम हो गई है। डॉक्टर इसकी वजह के बारे में निश्चित नहीं हैं।
इन लक्षणों से करें पहचान – इस बीमारी में सांस नलियां सिकुड़ जाती हैं। व्यक्ति को सांस लेने में समस्या होती है और घुटन की स्थिति पैदा होने लगती है। इन हालातों में सांस फूलना, घरघराहट या सीटी की आवाज आना, सीने में जकड़न, बेचैनी, खांसी, सिर में भारीपन, थकावट महसूस करना आदि लक्षण सामने आते हैं। कई बार स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि व्यक्ति को इनहेलर का सहारा लेना पड़ता है।
रोकथाम के उपाय – स्टडीज से पता चला है कि नियमित रूप से दवाओं का सेवन दमा के खतरे को कम कर देता है। हां, एक खुराक भी मिस न हो, इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
घर की नमी वाली जगहों को ड्राई रखें।
अगर संभव हो, तो एसी का उपयोग अधिक करें।
बाथरूम की नियमित रूप से सफाई करें और इसमें ऐसे प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल करें, जो बैक्टीरिया को खत्म करने में सक्षम हों।
एक्जॉस्ट फैन का उपयोग करें और घर में नमी न रहने दें।
पौधों को बेडरूम से बाहर रखें।
पेंटिंग करते समय पेंट में फंगल खत्म करने वाले केमिकल का उपयोग करें, जिससे फंगल को बढ़ने से रोका जा सके।
पॉलेन ग्रेन को रोकने के लिए खिड़कियों को बंद रखें।