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पीएम मोदी ने इंडियन पैरेंट्स को दिखाया आईना, कहा ये गलती तो कतई मत करना


बच्‍चों और पैरेंट्स को प्रोत्‍साहित करने के लिए पीएम मोदी ‘परीक्षा पे चर्चा’ के जरिए आम लोगों से जुड़ते हैं। इस दौरान वे स्‍टूडेंट्स और पैरेंट्स के कुछ सवालों का जवाब देते हैं और अपनी बातों के जरिए बच्‍चों को सही राह दिखाने की कोशिश करते हैं।
इय चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने बच्‍चों को अपने जीवन में सफल होने और आगे बढ़ने के लिए कई सुझाव दिए। अगर आप भी छात्र या अभिभावक हैं, तो पीएम मोदी की कही बातें आपके बहुत काम आ सकती हैं। इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि पीएम मोदी के अनुसार बच्‍चों को अपनी लाइफ में आगे बढ़ने के लिए किन बातों का ध्‍यान रखना चाहिए।
किस से करनी है प्रतिस्‍पर्धा – पीएम मोदी का साफ कहना है कि बच्‍चों को दूसरों से नहीं बल्कि अपने आप से प्रतिस्‍पर्धा करनी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि पैरेंट्स, शिक्षकों या रिश्‍तेदारों द्वारा की जाने वानी नकारात्‍मक तुलना से बच्‍चों के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को नुकसान हो सकता है। आपको छात्रों या बच्‍चों के साथ बातचीत के जरिए समस्‍या का समाधान करने का प्रयास करना चाहिए। तुलना करने से बच्‍चे का आत्‍मविश्‍वास और मनोबल कमजोर हो सकता है इसलिए ऐसा करने से बचना चाहिए।
तुलना न करने की दी सलाह – पीएम मोदी के इस कथन से यह साफ पता चलता है कि वे बच्‍चों की मां-बाप या टीचर द्वारा की जाने वाली तुलना के सख्‍त खिलाफ हैं। वो चाहते हैं कि हर बच्‍चे को एक समान अवसर दिए जाएं और उनकी तुलना कर के उनके मानसिक एवं भावनात्‍मक स्‍वास्‍थ्‍य को नुकसान न पहुंचाया जाए। आगे जानिए कि बच्‍चों की तुलना करने के क्‍या-क्‍या नुकसान हो सकते हैं।
आत्‍मविश्‍वास होता है कम – smilefoundationindia के अनुसार जब आप अपने बच्‍चे की दूसरे बच्‍चों के साथ तुलना करते हैं, तो इससे बच्‍चे का अपने ऊपर से भरोसा कम होने लगता है। उसे लगता है कि वो कुछ करने के काबिल नहीं है और उसका आत्‍मविश्‍वास डगमगाने लगता है। ऐसे बच्‍चे अपने जीवन में फेल हो सकते हैं। उनके आत्‍म-सम्‍मान में भी कमी आ सकती है।
भावनात्‍मक स्‍वास्‍थ्‍य पर पड़ता है असर – narayanaschools के अनुसार जब एक बच्‍चे की लगातार तुलना की जाती है, तो बच्‍चे के अंदर यह सोच पनपने लगती है कि वो अपने दोस्‍तों या सिबलिंग से बेहतर नहीं कर सकता है। इसका असर बच्‍चे के फेलियर से डील करने के तरीके पर भी पड़ता है। बच्‍चा चीजों को स्‍वीकार करने और बदलाव के अनुसार खुद को ढ़ालने में पीछे रह जाता है।