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इजरायल का नाम लेने की भी हिम्‍मत नहीं कर पाया पाकिस्‍तान, घबराई शहबाज सरकार, ईरान के साथ खुलकर आए तालिबानी


खाड़ी के दो सबसे बड़े दुश्‍मन देशों ईरान और इजरायल के बीच भीषण मिसाइल और ड्रोन युद्ध से पाकिस्‍तान की सरकार घबरा गई है। ईरानी हमले से पूरे खाड़ी के इलाके में तनाव अपने चरम पर है और पाकिस्‍तान की सरकार ने एक बयान जारी करके शांति की अपील की है। पाकिस्‍तान इजरायल को मान्‍यता नहीं देता है और खुद को ‘मुस्लिम उम्‍मा’ का हिस्‍सा बताता है। ईरान को उम्‍मीद थी कि उसका पड़ोसी देश पाकिस्‍तान इस लड़ाई में उसका साथ देगा लेकिन शहबाज शरीफ सरकार इजरायल का नाम लेने तक की हिम्‍मत नहीं कर पाई। वहीं ईरान एक और पड़ोसी देश अफगानिस्‍तान की तालिबान सरकार ने खुलकर तेहरान का साथ दिया है। तालिबान ने एक बयान जारी करके कहा कि इजरायल एक जालिम मुल्‍क है और मुस्लिमों पर जुल्‍म कर रहा है। ईरान ने हमला करके बहुत सही कदम उठाया है।
ईरान एक शिया देश है और तालिबानी सुन्‍नी हैं लेकिन उन्‍होंने खुलकर तेहरान का साथ दिया। वहीं पाकिस्‍तान के व‍िदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा कि यह कूटनीति के खत्‍म होने का परिणाम है। उसने कहा कि यह दर्शाता है कि संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद अपनी अंतरराष्‍ट्रीय शांति और सुरक्षा की अहम जिम्‍मेदारियों को पूरा करने में असफल रहा है। पाकिस्‍तान ने एक तरह से ईरान की उस मांग को समर्थन द‍िया जिसमें उसने कहा था कि अगर संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद ने इजरायल की सीरिया में कार्रवाई की निंदा की होती तो तेहरान जवाबी हमला नहीं करता।
ईरान बनाम अमेरिका में फंसा इजरायल – पाकिस्‍तान के कई विशेषज्ञों ने शहबाज सरकार के बयान में इजरायल के नाम को नहीं लेने की आलोचना की है। उन्‍होंने कहा कि इससे पाकिस्‍तानी बयान बहुत कमजोर साबित हुआ। उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान ने इजरायल की सीरिया में कार्रवाई या गाजा में हमले का जिक्र तक नहीं किया जिससे पूरे इलाके में अस्थिरता फैली है। वहीं चीन ने अपने बयान में इजरायली कार्रवाई का खुलकर जिक्र किया था। पाकिस्‍तान ने हालात को स्थिर करने और शांति की बहाली मांग की। दरअसल, पाकिस्‍तान ईरान और इजरायल के तनाव में बुरी तरह से फंसा हुआ है।