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बाइडन ने दे दी तीसरे विश्वयुद्ध की इजाजत! रूस पर लंबी दूरी की मिसाइल से हमला करेगा यूक्रेन, जंग में अब क्या होगा?


रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को ढाई साल से ज्यादा हो चुके हैं। दोनों के बीच का यह युद्ध अब जल्द ही बढ़ सकता है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन यूक्रेन को रूस के अंदर तक हमला करने की इजाजत दे दी है। लंबी दूरी के इन मिसाइल हमलों से युद्ध की दिशा बदल सकती है।
अमेरिका ने यूक्रेन को एक ऐसी इजाजत दे दी है, जिसकी डिमांड वह लंबे समय से कर रहा था। राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन को अमेरिका की ओर से दी गई लंबी दूरी की मिसाइलों के इस्तेमाल को हरी झंडी दे दी है। अमेरिका की बनी आर्मी टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम (ATACMS) के इस्तेमाल की इजाजत से यूक्रेन रूस के अंदर तक हमला कर सकता है। युद्ध न बढ़े इसलिए अमेरिका इसके इस्तेमाल की इजाजत नहीं देता था। लेकिन अब पॉलिसी में हुए इस बदलाव ने पूरी दुनिया को डरा दिया है। साथ ही इस बात पर सवाल उठ रहे हैं कि बाइडन ने यह फैसला अपने कार्यकाल के अंतिम दो महीनों में क्यों लिया?
कीव पिछले एक साल से रूस की ओर से कब्जाए गए यूक्रेनी इलाकों पर ATACMS से हमला करता रहा है। कई बार रूस के कुछ इलाकों में भी इन्हें इस्तेमाल किया गया। लेकिन अब से पहले अमेरिका ने कभी इजाजत नहीं दी थी। यूक्रेन का तर्क था कि अगर वह रूस में हमला नहीं कर सकता तो यह एक हाथ से लड़ने जैसा है। उत्तर कोरियाई सैनिकों के रूस में आने के बाद यह बड़ा फैसला लिया गया है। माना जा रहा है कि बाइडन व्हाइट हाउस छोड़ने से पहले यूक्रेन को हर तरह की मदद देना चाहते हैं।
ATACMS क्या है? – ATACMS का पूरा नाम आर्मी टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम है। यह सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है जो 300 किमी तक के टार्गेट पर हमला करने में सक्षम है। लॉकहीड मार्टिन ने इसे बनाया है। इन्हें M270 मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम (MLRS) या फिर पहिएदार M142 हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम (HIMARS) से दागा जाता है।
हर मिसाइल की कीमत 15 लाख डॉलर (12.66 करोड़ रुपए) है। इसमें ठोस ईंधन होता है। इसमें क्लस्टर बम समेत कई तरह के हथियार लगाए जा सकते हैं। अमेरिकी सेना नई पीढ़ी के हथियार से इसे बदल रही है, जिसकी रेंज 500 किमी है।
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युद्ध के मैदान पर क्या होगा असर – इस इजाजत के बाद अब यूक्रेन रूस के अंदर तक के टार्गेट पर हमला करने में सक्षम होगा।
सबसे पहले इसका इस्तेमाल कुर्स्क में किया जाएगा, जहां यूक्रेन ने कब्जा किया हुआ है। क्योंकि रूस फिर इस इलाके को हासिल करने में लगा है।
यूक्रेन अब इससे रूस के सैन्य ठिकानों, बुनियादी ढांचे और गोला-बारूद भंडार को निशाना बना सकता है। हालांकि इस तरह के निर्णय को देखते हुए रूस ने पहले ही अपने जेट और सैन्य उपकरण रूस के अंदर के बेस में शिफ्ट कर दिए हैं।
रूस का यह फैसला उसके सैनिकों को मुश्किल में डाल देगा, क्योंकि इससे सप्लाई या हवाई सहायता पहुंचने में समय लगेगा।
हालांकि जितनी मिसाइल की आपूर्ति है वह युद्ध का रुख मोड़ने के लिए पर्याप्त नहीं होगी।