साल 2021 में म्यांमार में सेना ने तख्तापलट किया था। इसके बाद से लगातार वहां गृहयुद्ध चल रहा है। सेना के खिलाफ विपक्षी ताकतें मजबूत हो रही हैं और आर्थिक संकट भी गहराता जा रहा है। ऐसे में इस फिलहाल इस पर सवाल हैं कि म्यांमार का भविष्य क्या होगा।
म्यांमार बीते चार साल से गृहयुद्ध से जूझ रहा है। म्यांमार में जुंटा कहने वाले सैन्य शासक और विद्रोही गुट आमने-सामने हैं। जुंटा सेना को बीते कुछ समय में सशस्त्र विद्रोगी गुटों के सामने लगातार हार सामना करना पड़ा है। म्यांमार में सेना के घटते नियंत्रण और अराकान आर्मी जैसे विद्रोही गुटों के मजबूत होने से युद्ध के मैदान की स्थिति बदल रही है। कई क्षेत्रीय एक्सपर्ट का कहना है कि जिस तरह से म्यांमार में विद्रोही आगे बढ़ रहे हैं, उससे यहां सीरिया जैसा परिदृश्य यानी तख्तापलट की स्थिति हो सकती है।
द कन्वर्सेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी 2021 को म्यांमार की सेना ने आंग सान सू की चुनी गई सरकार के खिलाफ तख्तापलट किया था। इसके बाद म्यांमार में शुरू हुए गृहयुद्ध ने देश को तबाह कर दिया है। इस युद्ध ने एक आर्थिक संकट को जन्म दिया है और म्यांमार की स्वास्थ्य और शिक्षा प्रणालियों को नष्ट कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र का आंकलन है कि इस लड़ाई में 5,000 से ज्यादा मौतें हुई हैं और 33 लाख लोग विस्थापित हुए हैं।
युद्ध अब अंत की तरफ? – म्यांमार में गृहयुद्ध युद्ध पांचवें वर्ष में प्रवेश कर रहा है तो दो महत्वपूर्ण चीजें सामने आई हैं। ये देश के भविष्य का निर्धारण कर सकती हैं। इनमें एक विद्रोही गुटों की युद्ध के मैदान में बढ़त है और दूसरा और अर्थव्यवस्था की विकट स्थिति। बीते साल, 2024 के अंत में बीबीसी ने आकलन में पाया है कि जुंटा का म्यांमार के केवल 21 फीसदी क्षेत्र पर पूर्ण नियंत्रण बचा है। वहीं विद्रोही सेनाओं और अन्य विपक्षी ताकतों का देश के 42 प्रतिशत हिस्से पर नियंत्रण है। इसके अलावा बाकी क्षेत्र पर विवाद जारी है।
Home / News / जुंटा के हाथ से निकलते शहर और विद्रोही गुटों की बढ़त… क्या म्यांमार में भी होने जा रही है सीरिया जैसा ‘खैल’