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धूल, धुआं, बलगम… फेफड़ों से सारा कचरा निकालेंगे 5 योग, खुलकर आएगी सांस


फेफड़े रोजाना धूल, प्रदूषण, एलर्जन और इंफेक्शन के संपर्क में आते हैं, खासकर शहरों में। धीरे-धीरे इससे फेफड़ों की क्षमता घटने लगती है और अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और कोविड जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
फेफड़े शरीर के सबसे जरूरी अंगों में से हैं, जो सांस लेने के काम आते हैं। इनका काम ऑक्सीजन देना, कार्बन डाइऑक्साइड निकालना, फिल्टर का काम करना, खून में पीएच बैलेंस बनाए रखना आदि है। फेफड़े खराब होने से कई नुकसान हो सकते हैं जैसे सांस लेने में तकलीफ, थकान और कमजोरी, अक्सर खांसी और बलगम, फेफड़ों में संक्रमण, ब्लड में ऑक्सीजन की कमी, नींद में सांस रुकना आदि।
कई बार धूल, धुआं, जहरीली गैसें, बलगम, सिगरेट का धुआं, प्रदूषण, बैक्टीरिया और केमिकल् आदि की वजह से फेफड़ों में गंदगी जमा हो जाती है। इस वजह से फेफड़े सही तरह काम नहीं कर पाते हैं। इससे आपको बार-बार खांसी आना, सांस लेने में तकलीफ या सीने में भारीपन, जल्दी थक जाना, घरघराहट या सीने में आवाज और बार-बार फेफड़ों का इंफेक्शन होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
फेफड़ों में भरी गंदगी को निकालने के लिए आप योग कर सकते हैं। आज यानि 21 जून को योग दिवस पर योग एक्सपर्ट मानसी गुलाटी आपको आपको कुछ ऐसे योगासन बता रही हैं जिनसे आप अपने फेफड़ों ओ स्वस्थ और मजबूत बना सकते हैं।
फेफड़ों में ऑक्सीजन लेने की क्षमता बढ़ाता है, फेफड़ों से बलगम और विषैले पदार्थ साफ करता है, श्वसन तंत्र में रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है, डायाफ्राम और सांस की मांसपेशियों को मजबूत करता है, सूजन और तनाव को कम करता है।
अनुलोम-विलोम – इसे करने के लिए आराम से ध्यान मुद्रा में बैठें, दाएं नथुने को अंगूठे से बंद करें और बाएं से सांस लें, अब बाएं नथुने को बंद करें और दाएं से सांस छोड़ें, इसे 5–10 मिनट तक दोहराएं। यह पूरी श्वसन प्रणाली को शुद्ध करता है, दोनों फेफड़ों में ऑक्सीजन का संतुलन बनाता है और नसों को शांत करता है।
कपालभाति – इसे करने के लिए रीढ़ सीधी रखकर बैठें, सामान्य रूप से सांस लें और नाक से जोर से सांस छोड़ते हुए पेट अंदर खींचें, यह प्रक्रिया जल्दी-जल्दी करें (1 बार प्रति सेकंड)। इससे फेफड़ों से टॉक्सिन्स निकालता है, साइनस और नाक को साफ करता है और फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है।
भुजंगासन – इसे करने के लिए पेट के बल लेटें, हथेलियां कंधों के नीचे रखें, सांस लेते हुए सीना ऊपर उठाएं, 10–30 सेकंड रुकें, फिर सांस छोड़ते हुए नीचे आएं। यह छाती को फैलाता है, फेफड़ों में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ाता है और रीढ़ को मजबूत करता है।
अर्ध मत्स्येन्द्रासन – इसे करने के लिए दोनों पैरों को सामने फैलाकर बैठें, दाएं पैर को मोड़कर बाएं घुटने के बाहर रखें, शरीर को दाईं ओर मोड़ें और बाएं हाथ को दाएं घुटने के बाहर रखें, कुछ देर होल्ड करें फिर दिशा बदलें। यह फेफड़ों और डिटॉक्स अंगों को सक्रिय करता है, फेफड़ों की लचीलापन और क्षमता बढ़ाता है और पाचन भी सुधारता है।
धनुरासन – इसे करने के लिए पेट के बल लेटें, टखनों को पकड़ें, सांस लेते हुए छाती और पैरों को ऊपर उठाएं, पेट पर संतुलन बनाएं और होल्ड करें। यह छाती की जगह को फैलाता है, फेफड़ों की लचीलापन बढ़ाता है, जमा विषैले तत्वों को बाहर निकालता है।