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खाना खाने के बाद क्यों लेना चाहिए कुम्भकर्ण और भीम का नाम, जानें शास्त्रों में बताया गया रहस्य


भारतीय संस्कृति में भोजन के बाद शतपावली का विधान है, जो पाचन क्रिया को सक्रिय कर बीमारियों से बचाता है। आयुर्वेद के अनुसार, यह वात, पित्त, कफ को संतुलित करता है। भोजन के तुरंत बाद लेटना या बैठना हानिकारक है, जबकि पेट पर दक्षिणावर्त हाथ फेरना पाचन को सुधारता है।
भारतीय संस्कृति में हर परंपरा के पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक कारण छिपा होता है। भोजन करने के बाद टहलने की बात अकसर अपने बड़ों से सुनी होगी। शास्त्रों में भी इसे बेहद ही महत्वपूर्ण बताया गया है। ऐसा ही एक नियम है ‘शनैः शनैः चंकर्मणं’ यानी भोजन करने के बाद थोड़ा टहलना या घूमना चाहिए। चरक संहिता में भोजन के बाद कम से कम 100 कदम चलने की सलाह दी गई है। भोजन के बाद 100 कदम चलने को शतपावली कहा जाता है। यह पाचन क्रिया को सही रखता है और मोटापा, मधुमेह जैसी बीमारियों से भी बचाता है।
आयुर्वेद के अनुसार, खाना खाने के बाद चलने से पाचन अग्नि सक्रिय होती है, जिससे भोजन ठीक से पचता है और मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है। इससे वजन प्रबंधन से लेकर ब्लड शुगर तक को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। हल्के कदमों से चलने से पाचन क्रिया ठीक रहती है और भोजन का रस शरीर में सही प्रकार से अवशोषित होता है। शास्त्रों में बताया गया है कि भोजन के बाद क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
हजारों साल पहले लिखे गए शास्त्रों में कहा गया है कि भोजन करने के तुरंत बाद लेटने से शरीर में कई तरह की बीमारियां पैदा होती हैं। भोजन के बाद तुरंत लेट जाने से पेट पर दबाव पड़ता है और इससे गैस, अपच और मोटापा जैसी समस्याएं बढ़ती हैं। जबकि भोजन के बाद कुछ कदम चलने से स्वास्थ्य बेहतर रहता है और व्यक्ति को दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
भोजन के बाद सोना चाहिए या नहीं? – आयुर्वेद में भी यह बताया गया है कि भोजन के बाद की चहल-कदमी शरीर में वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को संतुलित करती है। ग्रंथों में यह साफ लिखा है कि भोजन के बाद तुरंत बैठना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। इससे शरीर में भारीपन, मोटापा और पाचन संबंधी बीमारियां जन्म लेती हैं। खाना खाकर तुरंत बैठ जाने से पाचन तंत्र कमजोर पड़ता है और कई तरह की समस्याएं शरीर में घर कर लेती हैं।
खाने के बाद पेट पर क्यों फेरते हैं हाथ? – वैदिक ग्रंथों के अनुसार खाना खाने के बाद पेट पर हल्के हाथ फेरना अत्यंत लाभकारी माना गया है। भोजन करने के बाद पेट पर दक्षिणावर्त (घड़ी की दिशा में) हाथ फेरते हुए ‘अगस्त्यं कुम्भकर्णव, शनि च बडवानलम् । माहारपरिनाकाथ, स्मरेइ भीमं च पञ्चमम्’ श्लोक बोलना चाहिए। इस श्लोक में महर्षि अगस्त्य, कुम्भकर्ण, शनिदेव, बड़वानल और भीम इन पांचों का स्मरण किया जाता है। भोजन के बाद पेट पर हाथ फेरते हुए इसे जपने से पाचन में सुधार होता है।