
चीन में फरवरी तक Coronavirus पॉजिटिव केस दर्ज की गई संख्या से 4 गुना रहे होंगे, ऐसा हॉन्ग-कॉन्ग के रीसर्चर्स की एक स्टडी में सामने आया है। इसके मुताबिक COVID-19 की डेफिनेशन बदलने के कारण आंकड़ों में अंतर है।
चीन में फरवरी तक कोरोना वायरस की पहली वेव के कारण 2,32,000 लोग इन्फेक्शन का शिकार बने थे। ऐसा हॉन्ग-कॉन्ग के रीसर्चर्स की एक स्टडी में सामने आया है। गौर करने वाली बात है कि ये आंकड़ा असल संख्या से 4 गुना ज्यादा है। चीन में फरवरी तक 55,000 केस थे लेकिन यह संख्या और होती अगर COVID-19 की नई डेफिनेशन इस्तेमाल की गई होती। बता दें कि चीन में 83,000 केस रिपोर्ट किए गए हैं। पूरी दुनिया में 1,83,000 लोगों की मौत कोरोना के कारण हो चुकी है।
अंग्रेजी अखबार द गार्जियन के मुताबिक चीन के नैशनल हेल्थ कमिशन ने 15 जनवरी से लेकर 3 मार्च COVID-19 की डेफिनेशन के 7 वर्जन जारी किए। ताजा स्टडी में पता चला है कि इन बदलावों की वजह से इस बात पर असर पड़ा है कि कितने केस दर्ज किए गए हैं। हॉन्ग-केस की स्टडी में 20 फरवरी तक लिए गए डेटा का अनैलेसिस किया गया था। इसमें ऐसा अनुमान लदाया गया कि पहले चार वर्जन से डिटेक्ट किए गए केसों में 2.8 से लेकर 7.1 गुना बढ़ोतरी हुई होगी।
कम लक्षणों और वुहान कनेक्शन का असर
स्टडी के मुताबिक, ‘अगर पांचवां वर्जन शुरुआत से लागू किया गया होता और टेस्टिंग कपैसिटी बढ़ाई गई होती तो फरवरी तक 2,32,000 केस डिटेक्ट किए गए होते जबकि 55,508 की दर्ज किए गए।’ जैसे-जैसे इसके बारे में जानकारी बढ़ी और लैब की क्षमता बढ़ी, पुष्ट केसों की डेफिनेशन भी व्यापक होती गई। इसमें कम लक्षC और वुहान से कनेक्शन नहीं होना शामिल रहा। रिपोर्ट के मुताबिक ये बदलावों को महामारी के बढ़ने के ट्रेंड को समझने के लिए देखना चाहिए।
चीन के ऊपर लगते रहे हैं आरोप
चीन के ऊपर दुनिया इस बात का आरोप लगाती रही है कि उसने अपने यहां महामारी के शुरुआती दौर में इसके बारे में जानकारी छिपाने की कोशिश की। उसने अपने यहां भी जानकारी की अनदेखी की और इसे रोकने के लिए देरी से कदम उठाए। बाकी दुनिया को देर से जानकारी मिली इसलिए वायरस दुनियाभर में फैल गया। इस बारे में भी जानकारी नहीं दी गई कि यह इंसानों के बीच फैल सकता है, ऐसे में दूसरे देशों ने भी अपने यहां कदम देरी से उठाए।
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