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बच्‍चे के लिए उसकी पहली गुरु मां ही होती है

जब भी चोट लगती है तो सबसे पहले मां की याद आती है। जैसे-जैसे बच्‍चा बड़ा होता जाता है, मां और बच्‍चे के बीच की दूरियां बढ़ती जाती हैं। हालांकि, अगर आप अपने बच्‍चे को एक सही परवरिश और माहौल देना चाहते हैं तो आपको उसका दोस्‍त भी बनना पड़ेगा और मां से अच्‍छा दोस्‍त और कोई नहीं हो सकता है।
बच्‍चे के लिए उसकी पहली गुरु मां ही होती है। बच्‍चे की जिंदगी का हर पहलू कहीं ना कहीं मां से आकर ही जुड़ता है। जब भी उसे डर लगता है, तो सबसे पहले मां की याद सताती है। कोई मुश्किल आती है या चोट लगती है, तो मुंह से सबसे पहले मां शब्‍द ही निकलता है। अगर मां और बच्‍चे का रिश्‍ता दोस्‍त की तरह हो तो जिंदगी में काफी चीजें आसान हो सकती है। हर एक मां को यह समझना चाहिए कि वो अपने बच्‍चे की जिंदगी को कंट्रोल नहीं कर सकती लेकिन हां बच्‍चे को कदम-कदम पर उनकी जरूरत पड़ेगी इसलिए उन्‍हें उसके साथ ही खड़े रहना है।
जो बच्‍चे अपने पैरेंट्स से हर बात शेयर कर पाते हैं, वो एक हेल्‍दी एडल्‍ट बनते हैं और मानसिक रूप से स्‍वस्‍थ रहते हैं। अगर आप भी एक मां हैं तो अपने बच्‍चे की दोस्‍त बनने की कोशिश करें। बच्‍चा भले ही अपनी मां को अपनी मुश्किलों के बारे में ना बताएं लेकिन अपनी दोस्‍त को जरूर बताएगा। यहां हम आपको कुछ टिप्‍स बता रहे हैं जिनकी मदद से आप अपने बच्‍चे की दोस्‍त बनने का सफर और काम शुरू कर सकती हैं।
बात सुनें – बच्‍चों के साथ अपने रिश्‍ते को सुधारने या उसे मजबूत करने का सबसे पहला कदम है कि आप उसकी बात सुनें। जब भी बच्‍चा आपके पास अपनी शिकायत या परेशानी लेकर आता है तो उसकी बात सुनें और उसे सुलझाने में उसकी मदद करें। इस तरह बच्‍चे को जब भी कोई प्रॉब्‍लम आएगी, वो सबसे पहले आपके पास आएगा।
​स्‍वीकार करें – कई बार बच्‍चों की कुछ बातें, हरकतें या आदतें मां या पिता किसी को भी बहुत बुरी लगती हैं। वो कोशिश करते हैं कि बच्‍चा उस चीज को छोड़ दें। इसके लिए बच्‍चे पर दबाव बनाने की बजाय आपको अपने बच्‍चे को समझने की कोशिश करनी है। जब आप शांत दिमाग से अपने बच्‍चे से इस बारे में बात करेंगे, तो या तो आप या फिर उसे सही चीज समझ आ जाएगी।
थोड़ा समय निकालें – किसी भी रिश्‍त को मजबूत बनाने के लिए समय जरूरी होता है। आजकर मां-बाप दोनों ही वर्किंग है इसलिए बच्‍चों के लिए समय कम मिल पाता है। यदि आप चाहते हैं कि आपका बच्‍चा आपका दोस्‍त बनकर रहे तो आपको उसके साथ थोड़ी गॉसिप करने के लिए समय तो निकालना पड़ेगा।
शॉपिंग करें – टीनएज उम्र के बच्‍चों के साथ दोस्‍ती करने में अक्‍सर पैरेंट्स को काफी दिक्‍कत आती है क्‍योंकि इस उम्र के बच्‍चे अपने परिवार से ज्‍यादा दोस्‍तों के साथ रहना पसंद करते हैं। ये उम्र ही ऐसी होती है कि दोस्‍तों का साथ ही सुहावना लगता है। इस उम्र के बच्‍चों को दोस्‍त बनाने के लिए आप उनके साथ शॉपिंग पर जा सकती हैं। यहां आपको उससे बातें करने का मौका मिलेगा। वैसे भी बच्‍चों को शॉपिंग बहुत अच्‍छी लगती है।
​एहसास दिलाएं – अगर आप सच में चाहती हैं कि आप अपने बच्‍चे के लिए ब्रेस्‍ट फ्रेंड बनें और कोई भी परेशानी होने पर वो सबसे पहले आपके पास आए तो आपको अपने बच्‍चे को यह एहसास दिलाना होगा कि वो सही हो या गलत, आप हमेशा उसका सपोर्ट करेंगी और उसकी मदद के लिए खड़ी रहेंगी। आखिर, दोस्‍त भी तो हमारी जिंदगी में यही काम करते हैं।