Saturday , April 20 2024 10:48 PM
Home / Sports / भारत के भारी विरोध के बाद श्रीलंका में झुका चीन, तमिलनाडु के पास रोका सोलर प्‍लांट प्रॉजेक्‍ट

भारत के भारी विरोध के बाद श्रीलंका में झुका चीन, तमिलनाडु के पास रोका सोलर प्‍लांट प्रॉजेक्‍ट

भारत के भारी विरोध के बाद चीन ने श्रीलंका में हाइब्रिड एनर्जी सिस्‍टम परियोजना के निर्माण को रोक दिया है। इन हाइब्रिड एनर्जी सिस्‍टम को 3 उत्‍तरी द्वीपों पर बनाया जाना था जो भारत के बेहद करीब हैं। इससे पहले जनवरी में भारत ने श्रीलंका से चीनी कंपनी को सोलर पावर प्‍लांट बनाए जाने का ठेका दिए जाने पर विरोध दर्ज कराया था। श्रीलंका ने हाल ही में कोलंबो बंदरगाह पर ईस्‍ट कंटेनर डिपो के निर्माण का ठेका चीन की कंपनी को दिया है।
श्रीलंका ने पहले इस कंटेनर डिपो को बनाने का ठेका भारत और जापान को दिया था। श्रीलंका में चीन के दूतावास ने ट्वीट करके कहा था कि उत्‍तरी द्वीपों पर सोलर पावर प्‍लांट बनाए जाने के प्रॉजेक्‍ट को एक तीसरे देश के सुरक्षा को लेकर चिंता जताए जाने के बाद रद कर दिया है। चीन ने इस तीसरे देश के रूप में भारत का नाम नहीं लिया है। चीनी दूतावास ने यह भी कहा कि इसी कंपनी ने मालदीव में ठेका हासिल किया है।
चीनी दूतावास ने एक बयान में कहा, ‘साइनो सोर हाइब्रिड टेक्‍नालॉजी ने तीसरे पक्ष के सुरक्षा चिंता जताए जाने के बाद उत्‍तरी द्वीपों पर हाइब्रिड एनर्जी सिस्‍टम बनाने के काम को रद कर दिया है। इसी कंपनी ने मालदीव के साथ 12 द्वीपों पर सोलर पावर प्‍लांट बनाने का 29 नवंबर को एक करार किया है। इससे पहले श्रीलंका ने खराब गुणवत्ता का हवाला देते हुए चीन से आए 20,000 टन जैविक खाद की पहली खेप को लेने से इनकार कर दिया था। इसके बाद गुस्‍साए चीन ने श्रीलंका के एक बैंक को ब्लैकलिस्ट कर दिया था।
श्रीलंका ने चीन की बजाय भारत से खाद लेने का समझौता किया। भारत ने तत्‍काल श्रीलंका को खाद की आपूर्ति भी कर दी। दरअसल, श्रीलंका को दुनिया के पहले पूरी तरह से जैविक खेती वाले देश में बदलने के प्रयास में महिंदा राजपक्षे की सरकार ने रसायनिक खादों के इस्तेमाल को प्रतिबंधित कर दिया था। इसके ठीक बाद श्रीलंकाई सरकार ने चीन की जैविक खाद निर्माता कंपनी किंगदाओ सीविन बायो-टेक समूह के साथ लगभग 3700 करोड़ रुपये में 99000 टन जैविक खाद खरीदने का एक समझौता किया था। किगदाओ सीविन बायो-टेक समूह को समुद्री शैवाल आधारित खाद बनाने में विशेषज्ञता प्राप्त है।
चीन का सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने बताया कि यह एयर शो चीन की घरेलू डिफेंस इंडस्ट्री को मजबूत करेगा। चीन के एविएशन इंडस्ट्री कॉर्प के जनरल मैनेजर और सरकारी हथियार निर्माता कंपनियों के प्रवक्ता झोउ गुओकियांग ने बताया है कि उनकी कंपनी इस एयर शो में 150 लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, ड्रोन, मिसाइल और दूसरे हथियारों को प्रदर्शित कर रही है। उन्होंने बताया कि इनमें से 40 फीसदी हथियारों को दुनिया पहली बार देखने जा रही है। इसमें एजी-600 सी प्लेन का प्रोटोटाइप भी प्रदर्शित करने की योजना है। दुनिया के बेहद कम देशों के पास ही इतने बड़े आकार वाले सी प्लेन मौजूद हैं।
चाइना नॉर्थ इंडस्ट्रीज ग्रुप के डिप्टी जनरल मैनेजर जू वेनचाओ ने कहा कि उनकी कंपनी देश की सबसे बड़ी आर्मर्ड व्हीकल मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी है। वे इस एयर शो में मेन बैटल टैंक, बख्तरबंद गाड़ियों से लेकर 153 सैन्य हथियारों को प्रदर्शित कर रहे हैं। पहली बार प्रदर्शनी में स्मार्ट वॉर के हथियारों को भी दिखाया जा रहा है। यह एयर शो पिछले साल दिसंबर में प्रस्तावित था, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण इसकी डेट आगे बढ़ानी पड़ी। कोरोना महामारी के थमने और वैक्सीनेशन की स्पीड बढ़ने के बाद चीन ने इस एयर शो को दोबारा आयोजित करने का फैसला किया।
चीन ने इस एयर शो में दुनिया को अपने डबल इंजन वाले आर्म्ड ड्रोन की पहली झलक दिखाई है। यह ड्रोन लंबी दूरी तक उड़ान भरकर दुश्मन के ठिकानों पर बम बरसाने में सक्षम है। चीन के इस नए ड्रोन का नाम सीएच-6 (CH-6) है, जिसे चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कॉर्पोरेशन ने बनाया है। इसकी हमलावर रेंज 4500 किलोमीटर बताई जा रही है, जो चीन की राजधानी पेइचिंग से दिल्ली तक की 3782 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है। आज से पहले चीन ने ड्रोन के केवल मॉडल को ही प्रदर्शित किया था। इस एयर शो में चीन -16D इलेक्ट्रॉनिक अटैक जेट को भी प्रदर्शित करने जा रहा है, जो अपने जैमिंग पॉड्स के साथ दिखाई देगा।
सीएच-6 एक हाई एल्टीट्यूड, लॉन्ग इंड्यूरेंस, अनमैंड सिस्टम है। इसे खुफिया जानकारी इकट्ठा करने, लड़ाकू विमानों की सहायता करने और हमला करने जैसी भूमिकाओं में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह ड्रोन अपने पूर्ववर्ती सीएच-5 से काफी मिलता जुलता है, हालांकि इसका पिछला हिस्से का कॉन्फ़िगरेशन पहले के डिजाइन से बहुत अलग है। इसमें हाई टी-टेल सेटअप का इस्तेमाल किया गया है। इसके टेल सेक्शन में एक साथ दो जेट इंजन लगाए गए हैं।
चीन इस समय काफी तेजी से अपनी नौसेना के लिए युद्धपोत और पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है। चीन की 62 में से सात पनडुब्बियां परमाणु शक्ति से चलती हैं। ऐसे में पारंपरिक ईंधन के रूप में भी उसे अब ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ रहा है। चीन पहले से ही जहाज निर्माण की कला में पारंगत था। साल 2015 में चीनी नौसेना ने अपनी ताकत को अमेरिकी नौसेना के बराबर करने के लिए एक व्यापक अभियान चलाया था। पीएलए को विश्व-स्तरीय फाइटिंग फोर्स में बदलने के काम आज भी उसी तेजी से जारी है। जिनपिंग ने 2015 में शिपयार्ड और प्रौद्योगिकी में निवेश का आदेश दिया था। उन्होंने तब कहा था कि हमें एक शक्तिशाली नौसेना के निर्माण की जरुरत जो आज महसूस हो रही है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ था। जाहिर है कि सुप्रीम कमांडर का आदेश पाने के बाद से ही चीनी नौसेना ने पिछले 5-6 साल में अपनी ताकत को कई गुना बढ़ा लिया है।
चीन की खाद के एक नमूने में हानिकारक बैक्टीरिया पाए गए : इसके बाद चीन से हिप्पो स्पिरिट नाम का एक शिप सितंबर में 20,000 टन जैविक खाद लेकर श्रीलंका पहुंचा। श्रीलंकाई सरकारी एजेंसी नेशनल प्लांट क्वारंटाइन सर्विस ने शिपमेंट को यह कहते हुए स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि इस खाद के एक नमूने में हानिकारक बैक्टीरिया पाए गए हैं। ये श्रीलंका में जमीन के अंदर उगने वाली फसलों जैसे आलू और गाजर को नुकसान पहुंचा सकते हैं।