Friday , March 29 2024 6:02 AM
Home / News / कोरोना वायरस से जंग, दुनियाभर में 5 अरब कोविड-19 वैक्‍सीन का ऑर्डर

कोरोना वायरस से जंग, दुनियाभर में 5 अरब कोविड-19 वैक्‍सीन का ऑर्डर


कोरोना वायरस के खात्‍मे के लिए दुनियाभर में वैक्‍सीन बनाने का काम जोरशोर से जारी है। रूस ने ऐलान किया है कि उसकी कोरोना वायरस वैक्‍सीन प्रभावी रही है और एक जनवरी से बाजार में उपलब्‍ध हो जाएगी। चीन, ब्रिटेन और अमेरिका की कंपनियां भी कोरोना वायरस वैक्‍सीन के तीसरे और अंतिम चरण का ट्रायल कर रही हैं। इस बीच पूरी दुनिया में वैक्‍सीन पर कब्‍जा करने की रेस तेज हो गई है और अब तक 5.7 अरब कोरोना वैक्‍सीन का ऑर्डर हो चुका है। रूस की कोरोना वायरस वैक्‍सीन के लिए 20 देशों से एक अरब डोज का ऑर्डर मिला है।
पश्चिमी देशों की प्रयोगशाला में बन रही वैक्‍सीन की पहली खेप के ज्‍यादातर हिस्‍से पर अमेरिका कब्‍जा कर चुका है। इस समय दुनियाभर में 6 कोरोना वायरस वैक्‍सीन अपने तीसरे चरण में हैं। उधर, रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को दावा किया कि उनकी ‘स्‍पूतनिक वी’ (Sputnik V) वैक्‍सीन ने कोरोना वायरस के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित की है।

भारत समेत कई देशों में बनेगी रूसी कोरोना वैक्सीन
रूसी कोरोना वैक्सीन परियोजना के लिए फंड मुहैया कराने वाली संस्था रशियन डॉयरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड ने अपने बयान में कहा है कि इस वैक्सीन का उत्पादन भारत, दक्षिण कोरिया, ब्राजील, सऊदी अरब, तुर्की और क्यूबा में किया जाएगा। इसमें यह भी बताया गया है कि वैक्सीन के तीसरे फेज का ट्रायल सऊदी अरब, यूएई, ब्राजील, भारत और फिलीपींस सहित कई देशों में किए जाने की योजना है।
2020 के अंत तक 20 करोड़ डोज बनाने की तैयारी
रूस ने बताया कि वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन सितंबर 2020 में शुरू होने की उम्मीद है। भविष्य की योजनाओं में 2020 के अंत तक इस वैक्सीन के 20 करोड़ डोज बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें से 3 करोड़ वैक्सीन केवल रूसी लोगों के लिए होगी।
पुतिन की एक बेटी को भी लगी वैक्सीन की डोज
पुतिन ने कहा कि इस वैक्सीन के ट्रायल के दौरान उनकी एक बेटी ने भी हिस्सा लिया। पहले चरण के वैक्सीनेशन के बाद उसके शरीर का तापमान 38 डिग्री सेल्सियस था, जबकि अगले दिन यह 37 डिग्री सेल्सियस हो गया था। वैक्सीन ने दूसरे चरण के बाद उसके शरीर का तापमान थोड़ा बढ़ा लेकिन बाद मे सब ठीक हो गया। वह अब अच्छा महसूस कर रही है।
वैश्विक सहयोगियों से पुतिन ने की अपील
पुतिन ने कोरोना वायरस वैक्सीन के निर्माण से जुड़े हर किसी को धन्यवाद भी दिया। उन्होंने इसे दुनिया के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि हमारे विदेशी सहयोगी भी हमारा साथ देंगे। इससे वैश्विक दवा और वैक्सीन के बाजार में रूसी वैक्सीन उपलब्ध होगी।
अमेरिका ने रूसी वैक्सीन पर जताया संदेह
अमेरिका के स्वास्थ्य एवं मानव सेवा सचिव एलेक्स अजार ने कहा है कि कोविड-19 का पहला टीका बनाने की जगह कोरोना वायरस के खिलाफ एक प्रभावी और सुरक्षित टीका बनाना ज्यादा महत्वपूर्ण है। अजार ने कहा कि विषय पहले टीका बनाने का नहीं है। विषय ऐसा टीका बनाने का है जो अमेरिकी लोगों और विश्व के लोगों के लिए सुरक्षित तथा प्रभावी हो। उन्होंने यह भी कहा कि टीके की सुरक्षा और इसके प्रभाव को साबित करने के लिए पारदर्शी डेटा का होना महत्वपूर्ण है। अजार ने बताया कि अमेरिका में छह टीकों के विकास पर काम हो रहा है।
जर्मनी भी बोला- वैक्सीन पर कोई डेटा नहीं
जर्मनी ने भी रूस की कोरोना वायरस वैक्सीन की गुणवत्ता और सुरक्षा को लेकर संदेह जताया है। जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यूरोपीय संघ में क्लिनिकल ट्रायल के बाद ही दवा को मंजूरी दी जाती है। हमारे यहां रोगी की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। रूसी वैक्सीन की गुणवत्ता, प्रभावकारिता और सुरक्षा पर कोई ज्ञात डेटा नहीं है।
रूस का दावा- 20 देशों से 1 अरब डोज का मिला ऑर्डर
रूसी कोरोना वैक्सीन परियोजना के लिए फंड मुहैया कराने वाली संस्था रशियन डॉयरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड के प्रमुख किरिल दिमित्रिज ने कहा कि इस वैक्सीन के लिए 20 देशों से एक अरब डोज बनाने का ऑर्डर मिला हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि सितंबर से इस वैक्सीन का औद्योगिक उत्पादन शुरू होने की संभावना है। हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि किन देशों ने इस वैक्सीन के लिए ऑर्डर दिए हैं।

जानें, कौन देश कितना खरीद रहा है वैक्‍सीन
कोरोना वैक्‍सीन को बनाने के लिए कंपनियों को हर तरफ से वित्‍तीय मदद भी मिल रही है ताकि इस साल के आखिर या अगली साल के शुरुआत तक टीके का उत्‍पादन शुरू किया जा सके। कोरोना वैक्‍सीन बना रही ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी ने अस्‍त्राजेनेका के साथ करार किया है। आशा की जा रही है कि ऑक्‍सफर्ड की वैक्‍सीन के तीसरे चरण के ट्रायल का रिजल्‍ट सितंबर तक आ जाएगा।

​पुतिन की एक बेटी को भी लगी वैक्सीन
पुतिन ने कहा कि इस वैक्सीन के ट्रायल के दौरान उनकी एक बेटी ने भी हिस्सा लिया। पहले चरण के वैक्सीनेशन के बाद उसके शरीर का तापमान 38 डिग्री सेल्सियस था, जबकि अगले दिन यह 37 डिग्री सेल्सियस हो गया था। वैक्सीन ने दूसरे चरण के बाद उसके शरीर का तापमान थोड़ा बढ़ा लेकिन बाद मे सब ठीक हो गया। वह अब अच्छा महसूस कर रही है।
रहस्यों से भरी है पुतिन की निजी जिंदगी
रूसी राष्ट्रपति पुतिन की निजी जिंदगी रहस्यों से भरी हुई है। ऐसे में उनके परिवार के बारे में बहुत कम जानकारी ही दुनिया के लोगों को पता है। खुद रूसी सरकार ने भी पुतिन की जिंदगी से जुड़ी जानकारियों को छिपाने की खूब कोशिश की है। उन्होंने कभी भी सार्वजनिक रूप से अपने परिवार के सदस्यों को आने नहीं दिया है।
पहली पत्नी से पुतिन की हैं दो बेटियां
रूसी रिपोर्ट्स के अनुसार, पुतिन ने पहली शादी लगभग 35 साल पहले ल्यूडमिला शकरबेनेवा से की थी। वह रूसी एयरलाइन में फ्लाइट अटेंडेंट का काम करती थीं। पुतिन को अपनी पहली पत्नी से दो बेटियां मिलीं, जिनके नाम मारिया और कैटरीना है। कहा यह भी जाता है कि उनकी कथित गर्लफ्रेंड ने भी 2015 में एक बेटी को जन्म दिया था।
पहली बेटी का रूस तो दूसरी का जर्मनी में हुआ था जन्म
मारिया का जन्म लेलिनग्राद में सन 1985 में हुआ था, जबकि कैटरीना का जन्म 1986 में जर्मनी में हुआ था। कैटरीना के जन्म के समय पुतिन रूस की खुफिया एजेंसी केजीबी के लिए काम करते थे। तब उनकी पोस्टिंग जर्मनी में थी। बताया जाता है कि दोनों बेटियों का नामांकरण पुतिन की मां ने किया था।
माशा और कात्या के नाम से बेटियों को बुलाते हैं पुतिन
पुतिन अपनी बड़ी बेटी को माशा जबकि छोटी बेटी को कात्या के नाम से बुलाते हैं। पुतिन 1996 में जर्मनी से अपने परिवार को लेकर रूस आ गए। राष्ट्रपति बनने के बाद से उनकी बेटियों की पढाई लिखाई घर पर ही की गई। बताया जाता है कि रूसी राष्ट्रपति की बेटियों का मीडिया कवरेज भी रूस में बैन है।
इस समय क्या कर रही हैं पुतिन की बेटियां
डेली मेल के अनुसार, पुतिन की बड़ी बेटी मारिया की शादी नीदरलैंड के एक बिजनेसमैन से हुई है। वे मेडिकल और एजुकेशन के क्षेत्र में काम करती हैं। जबकि छोटी बेटी कैटरीना रूस में ही ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में सक्रिय हैं।

कोरोना वायरस वैक्‍सीन के सबसे बड़े खरीददारों में अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय यूनियन और जापान शामिल हैं। यूरोपीय यूनियन 70 करोड़, ब्रिटेन 25 करोड़, जापान 49 करोड़ डोज शामिल है। उधर, रूस की कोरोना वायरस वैक्‍सीन के लिए 20 देशों से एक अरब डोज का ऑर्डर मिला है। इन देशों में भारत भी शामिल है। भारत में रूस की ‘स्‍पूतनिक वी’ वैक्‍सीन के निर्माण की भी बात चल रही है। भारत में दुनिया की सबसे बड़ी वैक्‍सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्‍टीट्यूट है। सीरम के साथ दुनिया की कई और कंपनियां करार कर चुकी हैं।
अक्टूबर में खास लोगों का ही होगा वैक्सीनेशन
रूसी स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराशको ने कहा है कि रूस में इस साल अक्टूबर से बड़े पैमाने पर कोरोना वायरस वैक्सीनेशन का कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन के दौरान चिकित्साकर्मियों और शिक्षकों को प्राथमिकता दी जाएगी। यानी शुरुआत में इसे आम जनता के लिए बहुत कम संख्या में रखा जाएगा। पहले भी ऐसी खबरें आईं थी कि रूस में कोरोना वैक्सीन की डोज को वहां के कुछ अमीर लोगों को दिया गया है।
आम नागरिकों को अगले साल मिलेगी वैक्सीन
रूस की समाचार एजेंसी स्पूतनिक ने इस वैक्सीन के पंजीकरण प्रमाण पत्र के अनुसार बताया है कि यह वैक्सीन 1 जनवरी 2021 से सिविलियन सर्कुलेशन में जाएगी। यानी इस दिन के बाद से ही रूस के आम नागरिकों को इस वैक्सीन का डोज मिल सकेगा। इस वैक्सीन को मॉस्‍को के गामलेया रिसर्च इंस्टिट्यूट ने रूसी रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर एडेनोवायरस को बेस बनाकर तैयार किया है।
रूस का दावा- 20 साल की मेहनत का नतीजा
सेशेनॉव यूनिवर्सिटी में टॉप साइंटिस्ट वादिम तारासॉव ने दावा किया है कि देश 20 साल से इस क्षेत्र में अपनी क्षमता और काबिलियत को तेज करने के काम में लगा हुआ है। इस बात पर लंबे वक्त से रिसर्च की जा रही है कि वायरस कैसे फैलते हैं। इन्हीं दो दशकों की मेहनत का नतीजा है कि देश को शुरुआत शून्य से नहीं करनी पड़ी और उन्हें वैक्सीन बनाने में एक कदम आगे आकर काम शुरू करने का मौका मिला।
रूस की पहली सैटेलाइट से मिला वैक्सीन को नाम
इस वैक्सीन का नाम रूस की पहली सैटेलाइट स्पूतनिक से मिला है। जिसे रूस ने 1957 में रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ने लॉन्च किया था। उस समय भी रूस और अमेरिका के बीच स्पेस रेस चरम पर थी। कोरोना वायरस वैक्सीन के विकास को लेकर अमेरिका और रूस के बीच प्रतिद्वंदिता चल रही थी। रूस के वेल्थ फंड के मुखिया किरिल दिमित्रीव ने वैक्सीन के विकास की प्रक्रिया को ‘स्पेस रेस’ जैसा बताया था। उन्होंने US TV को बताया, ‘जब अमेरिका ने Sputnik (सोवियत यूनियन की बनाई दुनिया की पहली सैटलाइट) की आवाज सुनी तो वे हैरान रह गए, यही बात वैक्सीन के साथ है।
कैसे काम करती है वैक्सीन?
रूस की वैक्सीन सामान्य सर्दी जुखाम पैदा करने वाले adenovirus पर आधारित है। इस वैक्सीन को आर्टिफिशल तरीके से बनाया गया है। यह कोरोना वायरस SARS-CoV-2 में पाए जाने वाले स्ट्रक्चरल प्रोटीन की नकल करती है जिससे शरीर में ठीक वैसा इम्यून रिस्पॉन्स पैदा होता है जो कोरोना वायरस इन्फेक्शन से पैदा होता है। यानी कि एक तरीके से इंसान का शरीर ठीक उसी तरीके से प्रतिक्रिया देता है जैसी प्रतिक्रिया वह कोरोना वायरस इन्फेक्शन होने पर देता लेकिन इसमें उसे COVID-19 के जानलेवा नतीजे नहीं भुगतने पड़ते हैं। मॉस्को की सेशेनॉव यूनिवर्सिटी में 18 जून से क्लिनिकल ट्रायल शुरू हुए थे। 38 लोगों पर की गई स्टडी में यह वैक्सीन सुरक्षित पाई गई है। सभी वॉलंटिअर्स में वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी भी पाई गई।
इसलिए पश्चिमी देश जता रहे हैं शक
दूसरी ओर पश्चिमी देशों का आरोप है कि रूस ने उनकी रिसर्च चोरी कर वैक्सीन बनाई है। अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा की सुरक्षा एजेंसियों ने बकायदा बयान जारी कर इस बात का आरोप लगाया था कि रूस की खुफिया एजेंसियों से जुड़े हैकिंग ग्रुप APT29 (Cozy Bear) ने अभियान छेड़ रखा है। उन्होंने दावा किया कि यह ग्रुप रूस की खुफिया एजेंसियों का हिस्सा है और क्रेमलिन के इशारे पर काम करता है। इसके अलावा, रूस की वैक्सीन कितनी सफल और सुरक्षित है, इस सवाल की एक बड़ी वजह यह भी है कि इससे पहले कि वैज्ञानिक फेज-3 के ट्रायल को पूरा करते, वैक्सीन को अप्रूव कर दिया गया है। वैक्सीन की पुख्ता जांच के लिए इसे हजारों लोगों पर टेस्ट किया जाना जरूरी होता है।

विश्वभर में कोरोना वायरस के मामले दो करोड़ हुए
बता दें कि दुनियाभर में कोरोना वायरस के पुष्ट मामलों की संख्या बढ़कर दो करोड़ हो गई है। संक्रमण के कुल मामलों से आधे से ज्यादा सिर्फ अमेरिका, भारत और ब्राजील से हैं। वहीं, स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि सीमित जांच और कम से कम 40 प्रतिशत लोगों में कोविड-19 का कोई लक्षण नहीं होने की वजह से संक्रमितों की वास्तविक संख्या ‘जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय’ की ओर से जारी आंकड़ों से अधिक होने की संभावना है। चीन में पिछले साल कोविड-19 का पहला मामला सामने आने के बाद छह महीने में मामले बढ़कर एक करोड़ हुए थे और अब केवल छह सप्ताह के अंदर यह दोगुना हो गए।