पिता अपने बेटे के लिए हीरो होते हैं, पहले गुरु होते है और जिंदगी के हर मोड़ पर उसका साथी बनते हैं। तो फिर ये जरूरी हो जाता है कि पिता अपने बेटे को वो सीख दे, वो ज्ञान दे, जो स्कूल की किताबों में नहीं मिलता।
पिता और बेटे का रिश्ता बहुत खास और महत्वपूर्ण होता है। एक बेटा अपनी जिंदगी में जो कुछ भी सीखता है, उसमें से ज्यादातर चीजें उसे अपने पिता से मिली होती हैं। यही वजह है कि बेटे के पिता को अधिक जिम्मेदार और शिष्ट बनने की सलाह दी जाती है।
इस आर्टिकल में हम आपको कुछ ऐसी बातों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो हर बच्चा अपने पिता से सीखता है। आप भी इन अच्छी बातों और आदतों को अपने बेटे को सिखाने की कोशिश कर सकते हैं।
इज्जत कमाना सीखो – बेशक पैसा जरूरी है, पर सम्मान उससे भी ज्यादा मायने रखता है। अपने बेटे को ये सिखाओ कि सम्मान कड़ी मेहनत और अच्छे व्यवहार से मिलता है। दूसरों का सम्मान करो और खुद की इज्जत बनाए रखना सीखो।
इसके अलावा उसे यह भी बताएं कि हर चीज मेहनत के बिना नहीं मिलती। उसे सिखाएं कि शॉर्टकट की राह पर मत चलो। सफलता पाने के लिए मेहनत करनी जरूरी है, और असफलता से भी सीखना चाहिए।
जिम्मेदारी निभाना सीखो – अपने किए गए काम की जिम्मेदारी लेना हर किसी के लिए जरूरी है। अपने बेटे को सिखाओ कि वो अपने फैसलों और गलतियों की जिम्मेदारी ले। दूसरों को हर बार उलाहना देने की आदत ना डालें। जिंदगी में कुछ ना कुछ रिस्क तो लेना ही पड़ता है। अपने बेटे को ये बात भी समझाएं।
अपना रास्ता खुद चुनो – हर बाप चाहता है कि उसका बेटा उसकी राह पर चले, पर जरूरी नहीं कि हर बार ऐसा ही हो। अपने बेटे को ये हक दें कि वो अपनी पसंद का रास्ता चुने। उसे सपोर्ट करें और गलत रास्ते पर जाने से बचने की सीख दें। दूसरों की मदद करने से बड़ा कोई काम नहीं है। अपने बेटे को सिखाएं कि दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
लड़कियों का सम्मान करना – ये बहुत जरूरी सीख है। अपने बेटे को बचपन से ही ये बात सिखानी चाहिए कि लड़कियां और लड़के बराबर हैं। उन्हें सम्मान देना सीखो, उनकी इज्जत करो। इसके अलावा जिंदगी में अच्छे दोस्त बहुत मायने रखते हैं। अपने बेटे को सच्ची दोस्ती की कद्र करना सिखाएं। दोस्तों का साथ दो और उनकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहो।
अपनी भावनाओं को व्यक्त करना – अक्सर लड़कों से ये कहा जाता है कि वो रो नहीं सकते या भावुक होकर अपने मन की बात जाहिर नहीं कर सकते। आप अपने बेटे को ये सब चीजें न सिखाएं। इसके बजाय उस बताएं कि वो भी अपने विचारों और भावनाओं को खुलकर व्यक्त कर सकता है। इसमें कोई बुराई नहीं है और उसे इस मामले में पूरी आजादी है।