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भारत के भगोड़े माल्या को गिरफ्तारी के चंद घंटों बाद ही मिली जमानत


नई दिल्ली। भारतीय बैंकों से तकरीबन 9,500 करोड़ रुपए का कर्ज लेकर विदेश फरार हुए शराब कारोबारी डॉ. विजय माल्या के लिए बहुत दिन बचना अब मुश्किल है। ब्रिटेन की पुलिस ने माल्या के प्रत्यर्पण से जुड़े भारतीय आग्रह पर कार्रवाई करते हुए मंगलवार को उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

हालांकि, कुछ ही घंटों में माल्या को वहां की अदालत ने जमानत दे दी, लेकिन माल्या को यह संदेश जरूर चला गया कि आगे का रास्ता बहुत कठिन है। ब्रिटिश कोर्ट में भारतीय पक्ष को मजबूती से रखने की तैयारी हो रही है। माल्या को भारत लाने में जुटे विदेश मंत्रालय, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) व अन्य विभागों के अधिकारियों ने उसकी गिरफ्तारी को एक बड़ी सफलता बताया है।

विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, “माल्या की गिरफ्तारी भारतीय आवेदन पर ही हुई है। ब्रिटेन में कानूनी प्रक्रिया जारी है और इस पर दोनों देशों की सरकारों के बीच संपर्क भी बना हुआ है।” माल्या के प्रत्यर्पण से जुड़े एक अन्य अधिकारी के मुताबिक, माल्या की गिरफ्तारी आईडीबीआई बैंक के कर्ज को लेकर हुई है।

आइडीबीआइ बैंक ने माल्या की बंद हो चुकी कंपनी किंगफिशर को जो कर्ज दिया था उसमें कई तरह की गड़बड़ियां और जालसाजी की जांच सीबीआइ कर रही है। बैंक के पूर्व अधिकारी भी गिरफ्तार किए गए हैं। यह पहली बार है कि जब भारत से बैंकों का पैसा लेकर विदेश फरार हुए किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है।

सरकार अब माल्या के मामले में और जोर शोर से आगे बढ़ेगी। कोर्ट में अभी माल्या को जमानत मिल गई है, लेकिन आने वाले दिनों में लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग और सीबीआई इस मामले को पूरी मजबूती से रखेंगे ताकि माल्या को जल्द से जल्द यहां लाया जा सके।

माल्या ने कहा, रुटीन प्रक्रिया

ब्रिटेन के पुलिस विभाग स्कॉटलैंड यार्ड ने मंगलवार सुबह यह जानकारी दी कि एक भारतीय को प्रत्यर्पण के मामले में गिरफ्तार किया गया है। बाद में बताया गया कि गिरफ्तार व्यक्ति भारतीय उद्योगपति विजय माल्या हैं जिन पर भारत में धोखाधड़ी और जालसाजी के मामले चल रहे हैं। इसके कुछ देर बाद माल्या ने ट्वीट कर इस पूरी गिरफ्तारी को भारतीय मीडिया की हाईप करार दिया। उन्होंने इसे एक रुटीन प्रक्रिया भी करार दिया।

भारत ने फ्रॉड को बनाया है मामले का आधार

कुछ घंटों बाद विदेश मंत्रालय के बयान से साफ हो गया कि यह रुटीन मामला नहीं था। सूत्रों के मुताबिक, ब्रिटेन में प्रत्यर्पण का मामला काफी पेचीदा होता है। भारतीय जांच अधिकारियों ने इसे बखूबी समझते हुए माल्या के खिलाफ बैंक कर्ज बकाये का सामान्य मामला नहीं बनाया है बल्कि किस तरह से फ्रॉड करके बैंकों से कर्ज हासिल किया गया है, इसको आधार बनाया है। इसी वजह से ब्रिटिश अदालत प्रत्यर्पण के मामले पर सुनवाई के लिए तैयार हुई है।

ब्रिटेन के साथ कई स्तरों पर उठाया मामला

भारत ने ब्रिटिश सरकार के साथ कई स्तरों पर भी इस मामले को उठाया है। भारत की तरफ से 08 फरवरी, 2017 को औपचारिक रूप से ब्रिटेन को विजय माल्या के प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध भेजा था। भारत ने साफ कर दिया था कि माल्या के खिलाफ उनके पास पर्याप्त सबूत हैं और बेहतर राजनयिक संबंध बनाए रखने के लिए प्रत्यर्पण संधि के तहत इस मामले पर गंभीरता से विचार जरूरी है।

इसके पहले मुंबई की स्थानीय अदालत ने जनवरी में विजय माल्या के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करते हुए उसे भगोड़ा घोषित कर दिया था। चारों तरफ से घिरते माल्या ने पिछले दिनों बैंकों के सामने बातचीत का प्रस्ताव भी रखा था, लेकिन लगता है कि अब मामला अदालत में ही तय होगा।