मां-बाप बनना बिलकुल भी आसान नहीं होता है। इसके लिए आपको खुद को छोड़ना पड़ता है और अपने से पहले अपने बच्चे के बारे में सोचना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि इस रास्ते या सफर में बस खुशियां होती हैं बल्कि यहां कई चुनौतियां भी होती हैं। मूवी और सिनेमा में जो हम देखते हैं पैरेंटहुड बिलकुल उससे अलग होता है और इसमें पैरेंट्स पर काफी जिम्मेदारियां होती हैं और यहां जरूरी नहीं कि आंखों से हमेशा खुशी के आंसू ही निकलें। कभी-कभी मानसिक और शारीरिक रूप से दर्द होने पर भी आंसू निकल जाते हैं। पैरेंटिंग दर्द, दुख, व्याकुलता, भ्रम, कुछ काम करने में असमर्थता और निराशा की प्रतिध्वनियां हैं।
बच्चे को अकेले अपने दम पर इस दुनिया में लाने का ख्याल और जिम्मेदारी कई औरतों को डरा देती है। कभी उन्हें डर महसूस होता है, तो कभी वो अपने बच्चे को लेकर ओवरप्रोटेक्टिव हो जाती हैं। यह भी देखा गया है कि प्रेग्नेंसी के दौरान माएं माहौल में फैले डर और हानिकारक चीजों को पहचान लेती हैं और इसका असर उनकी मेंटल हेल्थ पर पड़ता है।
शारीरिक बदलाव – हार्मोनल उतार-चढ़ाव, बच्चे को गर्भ में रखने और स्तनपान कराने से महिला में शारीरिक परिवर्तन होते हैं। स्तनपान के दौरान आपकी हड्डियों से खनिज कम होते हैं जिससे आपको कमजोरी और संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, बच्चे के दूध छुड़ाने के बाद चीजें सामान्य हो जाती हैं, लेकिन यह शरीर में कैल्शियम के स्तर में उतार-चढ़ाव के कारण गुर्दे और अन्य प्रमुख अंगों के काम करने के तरीके को प्रभावित कर देता है।
ब्रेन में होते हैं बदलाव – साइंटिफिक अमेरिकन में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार मां के दिमाग में कई तरह के बदलाव आमे हैं। मां बनती हैं, पैदा नहीं होती हैं। रिपोर्ट का कहना है कि सभी स्तनपायी जीवों के व्यवहार में प्रेग्नेंसी और मदरहुड के दौरान कई तरह के बदलाव आते हैं।
“गर्भावस्था, जन्म और स्तनपान के दौरान होने वाले नाटकीय हार्मोनल उतार-चढ़ाव महिला के मस्तिष्क को फिर से तैयार कर सकते हैं, कुछ क्षेत्रों में न्यूरॉन्स के आकार में वृद्धि कर सकते हैं और दूसरों में संरचनात्मक परिवर्तन पैदा कर सकते हैं।”
सोशल बदलाव – मां से अपेक्षाएं हमेशा ऊंची होती हैं। एक मां से अपेक्षा की जाती है कि वह बच्चे को तैयार करे, एक परिवार को तैयार करे और खुद को तैयार करे। कोई फर्क नहीं पड़ता कि इससे उसका खुद का स्ट्रेस कितना बढ़ रहा है, समाज कभी भी माओं के लिए ऊंची अपेक्षाओं को बंद नहीं कर सकता है।
नर्वस ब्रेकडाउन – हर मां को इस तरह के एहसासों से गुजरना पड़ता है। कुछ को ये महसूस होता है जबकि कुछ सोशल प्रेशर के कारण इसे महसूस तक नहीं कर पाती हैं।
प्रायोरिटी बदल जाती हैं – सिंगर और संगीत लेखक अमांडा पाल्मर ने काफी स्पष्ट तौर पर कहा कि ‘ अगर मैं मां बन जाती हैं तो क्या मैं बोरिंग, बेकार और इग्नोर करने वाली आर्टिस्ट हो जाऊंगी? अचानक से मेरे गाने संतुलन के बारे में होने लगेंगे।
हां मां बनने के बाद काफी कुछ बदल जाता है क्योंकि अब आपकी प्रायोरिटी बदल जाती हैं। शारीरिक और मानसिक बदलाव मां के लिए बहुत बड़े चेंज लेकर आते हैं जिनके बारे में लोग बहुत कम ही बात करते हैं।
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