इजरायल के गाजा में युद्ध छेड़ने के बाद से ईरान लगातार उस पर हमलावर है। ईरान की ओर से लगातार इजरायल को चेताया जा रहा है लेकिन वह सीधे जंग में शामिल नहीं हो रहा है। ईरान इजरायल के खिलाफ संघर्ष को उसी मैनेज करने की कोशिश कर रहा है, जिस तरह इजरायल ने पिछले दशक में गाजा में संघर्ष को साधने की कोशिश की थी। इसका मतलब यह है कि ईरान युद्ध को इजरायल की सीमाओं तक लाना चाहता है, लेकिन इसे बड़े पैमाने पर संघर्ष में तब्दील नहीं करना चाहता है। ईरान की यह रणनीति परस्थिति के हिसाब से बदल भी सकती है, जैसे कि इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के सीनियर अफसर सैयद रजी मौसवी की हत्या के बाद ईरान में गुस्से का माहौल है।
यरुशलम पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान का इस जंग को लेकर चाहता है कि वह अपने प्यादों और समर्थित संगठनों को इजरायल की सीमाओं के करीब पहुंचाए। हमास, फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद, हिज्बुल्ला, हूती विद्रोही, इराक में हशद अलशाबी और सीरिया में मिलिशिया को ईरान ने इजरायल और अमेरिका को घेरने के लिए तैयार किया है। ये सभी ईरान के समर्थन से ही इजरायल और अमेरिकी से लड़ रहे हैं। लाल सागर में जहाजों पर हमले, इराक-सीरिया में अमेरिकी सेना पर 110 से अधिक हमले और 7 अक्टूबर से हिज्बुल्ला के सैकड़ों हमले इसी रणनीति का हिस्सा हैं। इसमें ये भी देखने वाली बात है कि ईरान की यह नीति हमेशा स्पष्ट और सीधी नहीं होती है।
इजरायल का दावा- सात मोर्चों पर लड़ रहा – इजरायस के रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने कहा है कि उनकी सेना एक बहुपक्षीय संघर्ष का सामना कर रहा है। उन्होंने सात मोर्चों पर लड़ने की बात कही है। इससे युद्ध के बढ़ने का भी खतरा पैदा हो रहा है। गैलेंट की टिप्पणी भी युद्ध के बढ़ने की चिंताओं का संकेत देती हैं। इसके अलावा, लाल सागर में सुरक्षित शिपिंग में मदद करने के लिए नई अमेरिकी-संगठित टास्क फोर्स इस क्षेत्र में बढ़ते खतरे को दिखाता है। इराक में हमले के बाद कताइब हिजबुल्लाह पर अमेरिकी हवाई हमले उसी पैटर्न का हिस्सा हैं।
युद्ध बढ़ने के खतरे में ईरान की भूमिका की बात की जाए तो वहां 7 अक्टूबर से ही तनाव बढ़ रहा है। जो हालिया हमले अमेरिकी सैनिकों पर हुए हैं, वो सभी हमले ईरान से जुड़े हुए हैं। ईरान इन हमलों का प्रबंधन कर रहा है। उसके पास हर एक क्षेत्र लिए एक अलग प्रॉक्सी समूह है। सवाल ये है कि ईरान ऐसे ही अपने इन संगठनों की मदद से संघर्ष को जारी रखता है तो क्या ये युद्ध फैलेगा। प्रॉक्सी का उपयोग करने और संघर्षों को मैनेज करने के ईरान के इतिहास से पता चलता है कि वह बड़े टकरावों को पसंद नहीं करता है। उसके समर्थित ये संगठन कब तक लड़ेंगे, ये देखने वाल बात होगी।
Home / News / इजरायल और अमेरिका के खिलाफ टकराव को बढ़ाएगा ईरान! क्या है उसकी इन दो ताकतों को घेरने की रणनीति