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ज्योतिष की राय: पिंजरे में बंद पक्षी न रखें घर, भोगने पड़ते हैं कष्ट

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इस लेख के माध्यम से हम आपको बताने जा रहे है के घर में क्यों नही रखने चाहिए पिंजरे में बंद पक्षी। ज्योतिष कालपुरुष सिद्धांत के अनुसार संसार के कण-कण पर नवग्रहों का आधिपत्य है जैसे हम में से हर व्यक्ति किसी न किसी ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है, उसी भांति पशु-पक्षी और जीव-जंतु सभी पर नवग्रहों का आधिपत्य स्थापित है। न ही मात्र जीवित जगत पर वरण निर्जीव जगत पर भी नवग्रह का अधिपत्य है। यहां तक के भिन्न-भिन्न पेड़-पौधे और विभिन्न पक्षियों पर भी किसी ना किसी ग्रह का अधिपत्य है।

तत्व ज्योतिष और जीवजगत: ज्योतिषशास्त्र के मतानुसार हम सभी जीव-जंतु और पशु-पक्षी ईश्वर द्वारा निर्मित पंचतत्व से निर्मित हैं तथा हम सभी में ये तत्त्व अलग- अलग प्रतिशत में विद्यमान होते हैं जैसे के हिंसक पशुओं में अग्नि तत्व की प्रधानता होती है। इस प्रकार कुछ जीवों में मूलतः जल तत्व की प्रधानता होती है जैसे की कमल का पौधा और सभी प्रकार के जलीय पौधे और जीव जंतु। इस प्रकार धरती पर विचरण करने वाले सर्वाहारी जीव जंतु पृथ्वी तत्व को संबोधित करते हैं। पेड़ों पर रहने वाले पशु-पक्षियों में वायु अथवा तत्व की प्रधानता होती है। इसी कारण सनातन धर्म में कपि श्रेष्ठ (वानर देह) हनुमान जी को पवन पुत्र अर्थात वायु पुत्र कहकर संबोधित किया गया है। इसी श्रेणी में आकाश में उड़ने वाले जितने भी पक्षी है वो आकाश तत्व को संबोधित करते हैं।

आकाश तत्व प्रधान केतु ग्रह: ज्योतिषशास्त्र कालपुरुष सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति की कुण्डली का द्वादश भाव अर्थात बारवां घर आकाश को संबोधित करता है। इस बारवें भाव से व्यक्ति के घर की छत, व्यक्ति का शयन कक्ष (बेडरूम) तथा बीमारियां हेतु व्यक्ति को हस्पताल में भरती करना देखा जाता है। लाल किताब सिद्धांत के अनुसार कुण्डली का बरवां घर केतु का पक्का स्थान माना गया है। इसी क्रम में सभी पक्षी मूलतः मोक्षकारक ग्रह केतु द्वारा शाषित हैं। केतु ग्रह से व्यक्ति के वंश का भी उल्लेख किया जाता है। अर्थात व्यक्ति के बच्चों का स्वास्थ्य, बच्चों की संख्या तथा बच्चों के होने में गतिरोध केतु द्वारा संचालित होते हैं। केतु ग्रह स्त्री के गर्भ धारण करने हेतु फैलोपियन ट्यूबस् तथा पुरुष के शुक्राणुओं के मोचन के लिए जिम्मेदार होता है।

पक्षी और ज्योतिष: शास्त्रों के अनुसार मूलतः सभी पक्षी आकाश तत्व को संबोधित करते हैं। शास्त्रों में आकाश तत्व को मोक्ष का मार्ग कहा गया है। व्यक्ति की कुण्डली के पांच घर आकाश तत्व को संबोधित करते हैं। ये पांच घर हैं कुण्डली का पांचवा घर, सातवां घर, नवां घर, दूसरा घर और बरवां घर। इन पंचों घरों पर केतु का अधिपत्य होता है। ज्योतिषशास्त्र की पंचपक्षी पद्धिति इस तर्क पर आधारित है। कुण्डली का दूसरा घर सुख, धन और वैभव को संबोधित करता है।

कुण्डली का पांचवा घर प्रेम शिक्षा वंश तथा सन्तति (बच्चों) को संबोधित करता है। कुण्डली का सातवां घर जीवनसाथी (पति यां पत्नी) संभोग को संबोधित करता है। कुण्डली का नवां घर इष्ट और भाग्य को संबोधित करता है तथा कुण्डली का बरवां घर नुकसान, खर्च तथा मोक्ष तथा पितृ पक्ष को संबोधित करता है। कुण्डली के इन पंचो घरों पर विभिन्न पक्षीयों का उल्लेख शास्त्रों में किया गया है। ज्योतिष के अनुसार पक्षियों का हमारे जीवन पर पड़ने वाला प्रभाव इन कुण्डली के पंचो घरों पर पड़ता है।

घर में क्यों नही रखने चाहिएं पिंजरे में बंद पक्षी: पक्षी कुण्डली के पांच भावों पर प्रभाव डालते है। पिंजरे में बंद पक्षी अपशकुन का प्रतीक हैं। पक्षियों को घर में बंद करके पालना विभिन्न तरह की समस्याओं को न्यौता देता है। शास्त्रों में पक्षियों की सेवा करने के निर्देश दिए गए हैं ना की उन्हें पिंजरे में बंद करके पालने के।

पक्षियों को पिंजरे में बंद करके पालने से व्यक्ति की कुण्डली पांच भाव कुछ इस प्रकार प्रभावित होते हैं। दूसरा भाव प्रभावित होने से संचित धन का क्षय होता है। पांचवा भाव प्रभावित होने से संतति सुख में अल्पता आती है तथा व्यक्ति में संतानहीनता तक देखी जा सकती है। सातवां भाव प्रभावित होने से जीवनसाथी का स्वास्थ्य बिगड़ता है तथा संभोग सुख की प्राप्ति नहीं हो पाती। कुण्डली का नवां भाव प्रभावित होने से भाग्यहीनता आती है दुर्भाग्य बढ़ता है। बरवां भाव प्रभावित होने से आर्थिक नुकसान होते हैं तथा व्यक्ति पितृ दोष से पीड़ित होता है।

अतः घर में कभी भी पक्षियों का पिंजरे बंद करके न पालें। उन्हें प्राकृतिक तौर पर आकाश में विचरण करने दें। छत अथवा बालकनी पर दाना पानी रखकर उनकी सेवा आवश्य करें जिससे आपके जीवन में धन, संतति सुख, काम, भोग, भाग्य और मोक्ष की प्रप्ति हो।