आजकल शायद ही कोई ऐसा घर हो जो वास्तु दोष से मुक्त हो। वास्तु दोष का प्रभाव कई बार देर से होता है, तो कई बार शीघ्र असर दिखने लगता है। इसका कारण यह है कि सभी दिशाएं किसी न किसी ग्रह और देवताओं के प्रभाव में होती हैं। जब किसी मकान मालिक (जिसके नाम पर मकान हो) पर ग्रह विशेष की दशा चलती है, तब जिस दिशा में वास्तु दोष होता है उस दिशा का अशुभ प्रभाव घर में रहने वाले व्यक्तियों पर दिखने लगता है।
आज मैं आपको सभी दिशाओं के दोष को दूर करने का सबसे आसान तरीका बता रहा हूं। इन मंत्र जाप के प्रभाव स्वरूप आप काफी हद तक वास्तुदोषों से मुक्ति प्राप्त कर पाएंगे। ध्यान रखें मंत्र जाप में आस्था और विश्वास अति आवश्यक हैं। यदि आप सम्पूर्ण भक्ति भाव और एकाग्रचित्त होकर इन मंत्रों को जपेंगे तो निश्चित ही लाभ होगा।
देश, काल और मंत्र साधक की साधना (इच्छा शक्ति) के अनुसार, परिणाम भिन्न-भिन्न हो सकते हैं।
ईशान दिशा
इस दिशा के स्वामी बृहस्पति हैं और देवता हैं भगवान शिव। इस दिशा के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए नियमित गुरु मंत्र ओम बृं बृहस्पतये नम: मंत्र का जप करें। शिव पंचाक्षरी मंत्र ओम नम: शिवाय 108 बार जप करना भी लाभप्रद होता है।
पूर्व दिशा
घर का पूर्व दिशा वास्तु दोष से पीड़ित है तो इसे दोष मुक्त करने के लिए प्रतिदिन सूर्य मंत्र ओम ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम: का जाप करें। सूर्य इस दिशा के स्वामी हैं। इस मंत्र के जाप से सूर्य के शुभ प्रभावों में वृद्धि होती है। व्यक्ति मान-सम्मान एवं यश प्राप्त करता है। इंद्र पूर्व दिशा के देवता हैं। प्रतिदिन 108 बार इंद्र मंत्र ओम इंद्राय नम: का जाप करना भी इस दिशा के दोष को दूर कर देता है।
आग्नेय दिशा
इस दिशा के स्वामी ग्रह शुक्र और देवता अग्रि हैं। इस दिशा में वास्तु दोष होने पर शुक्र अथवा अग्रि के मंत्र का जाप लाभप्रद है। शुक्र का मंत्र है ओम शुं शुक्राय नम:। अग्रि का मंत्र है ओम अग्रेय नम:। इस दिशा को दोष से मुक्त रखने के लिए इस दिशा में पानी का टैंक, नल, शौचालय अथवा अध्ययन कक्ष नहीं होना चाहिए।
दक्षिण दिशा
इस दिशा के स्वामी ग्रह मंगल और देवता यम हैं। दक्षिण दिशा के वास्तु दोष दूर करने के लिए नियमित ओम अं अंगारकाय नम: मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए। यह मंत्र मंगल के कुप्रभाव को भी दूर कर देता है। ओम यमाय नम: मंत्र से भी इस दिशा का दोष समाप्त हो जाता है।
नैऋत्य दिशा
इस दिशा के स्वामी राहू ग्रह हैं। घर में यह दिशा दोषपूर्ण हो और कुंडली में राहू अशुभ बैठा हो, तो राहु की दशा व्यक्ति के लिए काफी कष्टकारी हो जाती है। इस दोष को दूर करने के लिए राहू मंत्र ओम रां राहवे नम: मंत्र का जप करें। इससे वास्तु दोष एवं राहू का उपचार भी हो जाता है।
पश्चिम दिशा
ह शनि की दिशा है। इस दिशा के देवता वरुण देव हैं। इस दिशा में किचन कभी भी नहीं बनाना चाहिए। इस दिशा में वास्तु दोष होने पर शनि मंत्र ओम शं शनैश्चराय नम: का नियमित जप करें। यह मंत्र शनि के कुप्रभाव को भी दूर कर देता है।
वायव्य दिशा
द्रमा इस दिशा के स्वामी ग्रह हैं। यह दिशा दोषपूर्ण होने पर मन चंचल रहता है। घर में रहने वाले लोग सर्दी-जुकाम एवं छाती से संबंधित रोगों से परेशान होते हैं। इस दिशा का दोष दूर करने के लिए चंद्र मंत्र ओम चंद्रमसे नम: का जप लाभकारी है।
उत्तर दिशा
इस दिशा के देवता धन के स्वामी कुबेर हैं। यह दिशा बुध ग्रह के प्रभाव में आती है। इस दिशा के दूषित होने पर माता एवं घर में रहने वाली स्त्रियों को कष्ट होता है। आर्थिक कठिनाइयों का भी सामना करना होता है। इस दिशा को वास्तु दोष से मुक्त करने के लिए ओम बुं बुधाय नम: या ओम कुबेराय नम: मंत्र का जप करें। आर्थिक समस्याओं में कुबेर मंत्र का जप अधिक लाभकारी होता है।