
नींद के आगोश में ले जाने वाले बिस्तर पर भी ग्रहों का प्रभाव होता है। जो उस पर आराम कर रहे व्यक्ति पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। जो लोग सुबह उठकर अपने बिस्तर को अस्त-व्यस्त छोड़ देते हैं, उन पर राहु का अशुभ प्रभाव हमेशा बना रहता है। वे चाह कर भी जीवन में मनचाहा मुकाम हासिल नहीं कर पाते। धन और सेहत से जुड़ी परेशानियां भी बनी रहती हैं।
पाश्चात्य संस्कृति की देन है, सुबह उठकर सबसे पहले बिस्तर पर बैठे-बैठे बेड टी पीना। जिसका चलन आजकल काफी बढ़ गया है। धार्मिक ग्रंथों और आयुर्वेद में इस आदत की कड़े शब्दों में निंदा की गई है। इससे शरीर कभी स्वस्थ नहीं रह पाता।
शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति को ब्रह्म मुहूर्त यानी सूर्य उगने से पहले ही बिस्तर छोड़ देना चाहिए। जो व्यक्ति सुबह देर तक सोता है, उसकी बुद्धि कम होती है और दुर्भाग्य बढ़ता है। नेगेटिविटी से बचने के लिए सुबह उठकर अपना चेहरा भी न देखें।
पलंग के निर्माण में एक ही तरह की लकड़ी का इस्तेमाल शुभ माना जाता है। पलंग अगर गोलाकार है तो नींद उचटने की शिकायत बनी रहती है, आयताकार है तो उस पर नींद अच्छी आती है तथा बुरे स्वप्न नहीं आते।
बिस्तर पर बिछाई जाने वाली चादर का भी नींद एवं स्वास्थ्य से संबंध होता है। एकरंगी चादर बिस्तर के लिए आदर्श मानी जाती है। सफेद चादर अच्छी नींद प्रदान करती है। काली एवं पीली चादर दु:स्वप्नों से बचाकर रखती है। लाल चादर मन में प्रेम की उमंगों को जगाती है एवं रक्त विकारों से दूर रखती है। फटी चादर पारिवारिक सुख चैन को छीनने वाली होती है। इसी प्रकार फटा गद्दा जीवन रेखा को काटने वाला होता है। फटा हुआ तकिया किस्मत को प्रभावित करता है। बिस्तर के नीचे कोई कागज, औषधि या अन्य वस्तुओं को प्राय: रखने की आदत होती है। ऐसा करने से उस पर सोने वाली महिलाओं की यौनेच्छा में कमी आती है।
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