महर्षि नारद जी भगवान विष्णु के परम भक्त रहे हैं। ब्रह्माजी के 17 मानस पुत्रों में से एक नारद मुनि को ज्ञान और बुद्धि के कारण सभी देवता, असुर और ऋषि इनका सम्मान करते थे। अपने ज्ञान के बल पर उन्होंने एक पुराण की रचना की, जिसे आज नारद पुराण के नाम से जाना जाता है। इस पुराण में उन्होंने बताया है कि कलियुग आने पर पाप इतना बढ़ जाएगा कि इस पृष्वी का संतुलन खराब हो जाएगा। इंसान, इंसान का ही दुश्मन होने लग जाएगा और वह दूसरों के साथ तो क्या बल्कि अपनो के साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार करेगा। तो आइए जानते हैं उन चीज़ों के बारे में-
कलियुग आने पर श्रेष्ठ और ईमानदार मनुष्य का लोग उपहास करेंगे और उनमें दोष निकाला जाएगा। धर्म की बजाए लोग अधर्म को बढ़ावा देंगे। लोग अपने धर्म के प्रति शून्य हो जाएंगे।
घोर कलियुग के आने पर लोग अपनों का तो क्या बल्कि अपने गुरुओं का भी सम्मान नहीं करेंगे। पैसा कमाने के लिए लोग किसी भी हद तक जाएंगे। आम लोगों के बीच शिक्षा और सदाचार का महत्व कम हो जाएगा।
नारद पुराण के अनुसार कलियुग में कृषि का नाश होगा और किसीन दिन-रात दुखी होंगे। प्रकृति के साथ लगातार छेड़छाड़ होने पर अनाज का अंत हो जाएगा। लोग कृषि छोड़कर अन्य साधनों से की ओर पलायन करेंगे, लेकिन फिर भी उनके हाथ कुछ नहीं लगेगा।
कलियुग में लोग बिना स्नान-शौच किए ही सुबह-सुबह बिना प्रभु का नाम लिए, पूजा-पाठ किए बिना ही भोजन करेंगे। लोगों को केवल अपना पेट भरने से मतलब रहेगा और इसके साथ ही वेज़ को छोड़ लोग मास-मछली का सेवन अधिक करेंगे।
मनुष्य साधुओं तथा ब्राह्मणों की निंदा में तत्पर रहेंगे। मनुष्यों में पाखंड की प्रचुरता और अधर्म की वृद्धि हो जाने से आयु कम हो जाएगी।
कलियुग में पाप लगातार बढ़ता जाएगा। अनुचित कार्य करने में लोगों को लाज और भय नहीं होगा। लोग व्यर्थ के वाद-विवाद में फंसकर धर्म का आचरण छोड़ बैठेंगे। लोगों का धर्म से विश्वास उठ जाएगा।
महिलाएं बेहद कड़वा बोलने लगेंगी और उनके चरित्र में नकारात्मकता घर चुकी होगी। महिलाओं के ऊपर न तो पिता का और न ही पति का जोर होगा। औरतें अपने मन की करेंगी वह किसी की नहीं सुनेगी।