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चरणामृत पीने से क्या होता है लाभ, इन चीजों को जरूर करें शामिल


1. ईश्वर के चरणों का अमृत है चरणामृत
सनातन धर्म से जुड़े किसी भी धार्मिक जगह जैसे मंदिर, तीर्थस्थल आदि पर आप जाएंगे सबसे पहले पुजारी आपको प्रभु का चरणामृत देते हैं। चरणामृत को धार्मिक दृष्टि से काफी पवित्र माना जाता है। क्योंकि इसे भगवान के चरणों का प्रसाद यानी चरणों का अमृत माना जाता है। भक्तों को विश्वास है कि प्रभु के चरणों का जल सभी सांसारिक दुखों का विनाश करता है। इस पवित्र जल को सबसे पहले मस्तक पर लगाया जाता है और फिर इसका सेवन किया जाता है। आइए जानते हैं चरणामृत पीने से क्या लाभ होता है और इसमें किन चीजों को शामिल करना चाहिए…
2. अकाल मृत्यु का नहीं रहता भय
अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्।
विष्णो: पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते।।’
अर्थात एक ऐसा अमृत है, जिसे पीने से मनुष्‍य को अकाल मृत्‍यु का भय नहीं रहता। यह सभी पापों का नाश कर देता है। साथ ही भगवान विष्‍णु के चरणों को धोने वाले जल को पीने से व्‍यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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3. सभी पाप हो जाते हैं नष्ट
चरणामृत के पीने से समस्त पापों का नाश होता है और व्यक्ति को पुन: जन्म नहीं होता है। जल तब तक जल रहता है जब तक वह ईश्वर के चरणों को स्पर्श नहीं करता। ईश्वर के चरण स्पर्श होते ही जल अमृत बन जाता है और वह अमृत चरणामृत में परिवर्तित बन जाता है।
4. चरणामृत को लेकर एक पौराणिक कथा
चरणामृत के बारे में एक पौराणिक कथा भी मिलती है। कथा के अनुसार, जब भगवान विष्‍णु ने वामन अवतार धारण किया था, तब वह राजा बलि के यज्ञशाला में दान लेने गए थे। उन्होंने राजा बलि से दान में तीन पग भूमि में तीनों लोक मांग लिए। पहले पग में उन्होंने नीचे के लोग नाप लिए और दूसरे पग में उन्होंने ऊपर के सभी लोग नाप लिए और जैसे ही उनका पग ब्रह्मलोक में गया तब ब्रह्माजी ने वामन रूपी भगवान विष्णु के चरण धोकर जल को वापस अपने कमंडल में रख लिया।
5. चरणामृत से पूरे परिवार को भव पार करवा दिया
भगवान ब्रह्माजी ने जल को चरणामृत नाम दिया। यही चरणामृत गंगा बन गईं और फिर पृथ्‍वी पर मनुष्‍यों के कल्‍याण के लिए अवतरित हुआ। रामायण में केवट प्रसंग में भी चरणामृत का महत्‍व बताया गया है। जब केवट भगवान श्रीराम के चरणों को धोकर उस जल को चरणामृत रूप में ग्रहण करता है और परिवार, कुल एवं पितरों को भव पार करवा देता है। यही वजह है कि श्रद्धालु चरणामृत को बड़ी श्रद्धा से ग्रहण करते हैं।
6. चरणामृत का वैज्ञानिक मत
चरणामृत का केवल धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक मत भी है। चराणामृत का सेवन करने से शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता पैदा हो जाती है तथा शरीर की कई व्‍याधियों को दूर कर देता है। इसमें तुलसी के पत्ते डालने की परंपरा भी है जिससे इस जल की रोगनाशक क्षमता और भी बढ़ जाती है। माना जाता है कि तुलसी चरणामृत लेने से मेधा, बुद्धि, स्मरण शक्ति को बढ़ाता है।
7. इस तरह बनाया जाता है चरणामृत
चरणामृत को पांच चीजों से मिलकर बनाया जाता है, यही वजह है कि इसे पंचामृत भी कहते हैं। चरणामृत बनाने के लिए दूध, दही, तुलसी, शहद, गंगाजल और शक्कर से मिलाकर बनाया जाता है। इसमें आप चाहें तो चीनी, चिरौंजी, मखाने और पिघला हुआ घी ड़ाल सकते हैं।