
अमेरिका के एक शीर्ष अधिकारी ने सांसदों से कहा कि भारत मजबूत कानून व्यवस्था के साथ दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बना हुआ है लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी पर पाबंदियों समेत भारत सरकार के कुछ कदमों से चिंताएं पैदा हो गयी है जो उसके लोकतांत्रिक मूल्यों के परस्पर विरोधी हैं। दक्षिण और मध्य एशिया के लिए कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री डीन थॉम्पसन ने एशिया, मध्य एशिया पर सदन की विदेश मामलों की उप समिति की बुधवार को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में लोकतंत्र पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणियां की।
थॉम्पसन ने कहा, ‘भारत मजबूत कानून व्यवस्था और स्वतंत्र न्यायपालिका के साथ दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और उसकी अमेरिका के साथ मजबूत और बढ़ती रणनीतिक साझेदारी है। हालांकि भारत सरकार के कुछ कदमों ने चिंताएं पैदा की हैं जो उसके लोकतांत्रिक मूल्यों के परस्पर विरोधी हैं।’ उन्होंने कहा, ‘इसमें अभिव्यक्ति की आजादी पर बढ़ती पाबंदियां और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं तथा पत्रकारों को हिरासत में लेना शामिल है।’ उन्होंने कहा कि अमेरिका नियमित तौर पर इन मुद्दों पर बातचीत करता रहता है।
‘अधिकारों की सुरक्षा के लिए हैं संस्थान’ : बहरहाल भारत ने विदेशी सरकारों और मानवाधिकार समूहों की उन आलोचनाओं को खारिज कर दिया था कि देश में नागरिक स्वतंत्रता का क्षरण हुआ है। भारत ने कहा कि उसकी भलीभांति स्थापित लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं हैं और सभी के अधिकारों की सुरक्षा के लिए मजबूत संस्थान हैं। भारत सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि हमारा संविधान मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए अनेक विधानों के तहत पर्याप्त संरक्षण प्रदान करता है।
कांग्रेस सदस्य क्रिस्सी होलाहन ने कांग्रेस की सुनवाई के दौरान कश्मीर का मुद्दा उठाया। इस पर थॉम्पसन ने कहा, ‘कश्मीर ऐसा क्षेत्र है जहां हमने उनसे जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल करने का अनुरोध किया और हमने कुछ कदम उठाते हुए भी देखा है जैसे कि कैदियों को रिहा करना, 4जी नेटवर्क बहाल करना। हम चाहते हैं कि वे कुछ चुनावी कदम भी उठाएं और हमने ऐसा करने के लिए उन्हें प्रेरित किया है और ऐसा करते रहेंगे।’
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