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देश की सेवा का मतलब सिर्फ 8 घंटे की नौकरी नहीं, विक्रमसिंघे बोले- श्रीलंका की तरक्की के लिए करना होगा ज्यादा काम


श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने सोमवार को कहा कि देश में लोक सेवा आठ घंटे की नौकरी नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों को नकदी संकट से जूझ रहे मुल्क को ‘समृद्ध राष्ट्र’ बनाने के लिए अधिक समय तक काम करना चाहिए। श्रीलंका में पिछले साल अप्रत्याशित आर्थिक संकट आ गया था और देश में विदेश मुद्रा की कमी हो गई थी। इस वजह से देश में प्रदर्शन हुए थे और राजपक्षे परिवार को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था। इससे पहले श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने कहा था कि आर्थिक मंदी से जूझ रहे श्रीलंका के लिए 2023 एक ‘महत्वपूर्ण साल’ होगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विक्रमसिंघे ने सोमवार को कोलंबो में एक कार्यक्रम में कहा, ‘प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य (लोक सेवक) दिन में आठ घंटे और सप्ताह में पांच दिन तक सीमित नहीं हो सकता। आइए हम सब प्रतिबद्धता के साथ काम करें। मैं आशा करता हूं कि मैं 2023 के अंत तक आप सभी के समर्थन से इस देश को आगे ले जाऊंगा और सामान्य स्थिति बहाल कर पाऊंगा।’ नए साल के अपने संदेश में उन्होंने कहा था कि सरकार संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के भरसक प्रयास कर रही है।
‘जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता लोक सेवक’ – राष्ट्रपति ने कहा कि कोई भी लोक सेवक अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता है, क्योंकि 2023 देश की अर्थव्यवस्था के लिए अहम साल है। संयोग से इस साल चार फरवरी को श्रीलंका को ब्रिटेन के शासन से आज़ाद हुए 75 साल पूरे हो जाएंगे। द्वीपीय राष्ट्र को 1948 में स्वतंत्रता मिली थी। दूसरी ओर श्रीलंका के अपदस्थ राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने किसी देश में शरण पाने में नाकाम रहने के बाद अपनी अमेरिकी नागरिकता बहाल करने के लिए आवेदन किया है।
राजपक्षे के आवेदन पर विचार करेगा अमेरिका – मीडिया में आई एक खबर गोटबाया राजपक्षे के बारे में यह जानकारी देती है। देश में आर्थिक संकट गहराने और तत्कालीन सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बीच राजपक्षे (73) पिछले साल जुलाई में देश छोड़ कर भाग गए थे और इसके करीब दो महीने बाद स्वदेश लौटे थे। ‘द संडे टाइम्स’ अखबार की खबर में कहा गया है कि हालांकि, उनके अनुरोध पर अमेरिकी सरकार की ओर से विचार किया जाना अभी बाकी है।