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क्या चीन को रोककर भारत को महंगी पड़ रही 5G डील? उठाना पड़ रहा नुकसान


भारत सरकार ने चाइनीज टेलिकॉम वेंडर जैसे Huawei और ZTE को अनऑफिशियल तौर पर भारत में 5G ट्रॉयल और 5G रोलआउट में हिस्सा नहीं लेने दिया था। ऐसे में भारत में 5G रोलआउट के लिए भारतीय टेलिकॉम कंपनियों को यूरोपीय और अमेरिकन कंपनियां वेंडर जैसे नोकिया, एरिकसन और सैमसंग का सहारा लेना पड़ा। क्योंकि भारत एक बड़ा मार्केट है। इस लिहाज से अकेले 5G रोलआउट कर पाना मुश्किल था। यही वजह है कि जियो और एयरटेल 5G रोलआउट में यूरोप और अमेरिका टेलिकॉम कंनपियां साझीदार हैं। इससे डिजिटल इंडिया मुहिम को भी सपोर्ट मिलता।
लेकिन ET ने Mason एनालिस्ट अशविंदर सेठी के हवाले से लिखा है कि अगर चाइनीज टेलिकॉम कंपनियां को भारत में 5G रोलआउट की इजाजत दी जाती, तो वो यूरोपियन यूनियन के मुकाबले सस्ते में 5G रोलआउट रेट ऑफर करती। ऐसे में 5G रोलआउट में तेजी आती। साथ ही ग्रामीण इलाकों तक तेजी से 5G सर्विस पहुंचाने में मदद मिलती।
वोडाफोन आइडिया ने नहीं लॉन्च किया 5G – एयरटेल और जियो की तरफ से भारत में 5G सर्विस को रोलआउट किया गया है। एयरटेल ने मार्च 2024 और जियो ने दिसंबर 2023 तक देशभर में 5G सर्विस को रोलआउट करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन ग्रामीण भारत में 5G नेटवर्क की उपलब्धता बेहद कम है। वोडाफोन आइडिया के सबसे ज्यादा ग्राहक है। लेकिन उसकी तरफ से अभी तक 5G सर्विस को लॉन्च भी नहीं किया गया है।
गांवों में 5G स्मार्टफोन सेल में कमी – रिपोर्ट की मानें, तो 5G की उपलब्धता बड़े शहरों और कस्बों में देखने को मिलती है, जिसकी वजह से ग्रामीण में लोग 5G स्मार्टफोन खरीदने से बच रहे हैं। आईडीसी की रिपोर्ट की मानें, तो भारत में बिकने वाले 10 में से केवल 3 स्मार्टफोन ही ग्रामीण इलाकों में खरीदे जाते हैं।
शहरों में ज्यादा एवरेज रेवेन्यू ग्रोथ – रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चाइनीज वेंडर यूरोपियन के मुकाबले सस्ते कीमत ऑफर करते। साथ ही तेजी से 5G सर्विस रोलआउट करते। इससे ग्रामीण भारत में 5G रोलआउट में तेजी आती। इड़ियन टेलिकॉम और यूरोपियन टेलीकॉम कंपनियां अपने इन्वेस्टमेंट की तेज रिकवरी के लिए के लिए शहरी इलाकों में 5G नेटवर्क रोलआउट पर फोकस करती हैं। शहरी इलाकों में ज्यादा पॉपुलेशन डेंसिटी और हायर एवरेज रेवेन्यू पर यूजर होने की वजह से भी शहरों पर ज्यादा फोकस किया जाता है।
गांवों में कम यूजर्स – ट्राई के डेटा के मुताबि साल 2022 तक शहरों में टेलीकॉम डेंसिटी 134.22 फीसद थी, जो ग्रामीण इलाकों में घटकर 57.7 फीसद रह जाती है। इस दौरन शहरों में 1.17 बिलियन सब्सक्राइबर्स रहे हैं, जबकि ग्रामीण इलाकों में 534 मिलियन यूजर थे.