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रूस से तेल खरीद पर चीन से अमेरिका नाराज, विशेषज्ञों ने बताया पुतिन की मदद नहीं सिर्फ अपना फायदा देख रहे जिनपिंग

तेल एवं गैस खरीदारी के जरिए रूस को चीन की ओर से मिल रहा समर्थन अमेरिका की नाराजगी और अमेरिकी कार्रवाई के खतरा को बढ़ा रहा है, लेकिन इस बात का कोई संकेत नहीं है कि चीन यूक्रेन पर रूसी हमले के कारण लगाए गए प्रतिबंधों से बचने में रूस की मदद कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने यह राय व्यक्त की है।27 देशों वाले यूरोपीय संघ (ईयू) के नेताओं ने इस साल के अंत तक रूसी तेल के अधिकांश आयात को प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया है। यूरोपीय नेताओं ने सोमवार रात को रूस से किए जाने वाले 90 फीसदी तेल आयात को रोकने का फैसला लिया। इस फैसले को अगले छह महीनों में लागू कर दिया जाएगा।
ऐसे में रूस के लिए चीन की महत्ता और बढ़ गई है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की सरकार ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के हमले से पहले घोषणा की थी कि उनकी और रूस की मित्रता की ‘‘कोई सीमा नहीं’’ है। अमेरिका, यूरोप और जापान ने संयुक्त राष्ट्र के पास जाए बिना रूस को बाजार और वैश्विक बैंकिंग प्रणाली से अलग-थलग कर दिया है। चीन ने इन प्रतिबंधों को गैर कानूनी बताया है। इन प्रतिबंधों के बावजूद चीन, भारत और कई अन्य देश रूस से तेल और गैस खरीद रहे हैं, लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने शी को चेतावनी दी है कि यदि उन्होंने प्रतिबंधों से बचने में रूस की मदद की, तो चीन को इसके परिणाम भुगतने होंगे। यानी चीनी कंपनियों पर पश्चिमी बाजार तक पहुंच समाप्त होने का खतरा है।
बाइडन प्रशासन होगा नाराज : चीन प्रतिबंधों का पालन करता दिख रहा है, लेकिन सरकारी कंपनियां रूस से और तेल एवं गैस खरीद रही हैं। वे पश्चिमी कंपनियों के जाने के बाद रूसी ऊर्जा परियोजनाओं की संभावित निवेशक भी हैं। ‘यूरेशिया ग्रुप’ के नील थॉमस ने एक ईमेल में कहा, ‘‘रूस के प्रति चीन के सहयोग से बाइडन प्रशासन संभवत: और नाराज हो जाएगा।’’ थॉमस ने कहा कि इससे ‘‘बीजिंग को सजा देने के लिए एकतरफा कदम उठाए जाने’’ और ‘‘चीन से निपटने के लिए आर्थिक सुरक्षा उपायों के संदर्भ से सहयोगी देशों के समन्वय’’ से कदम उठाए जाने की संभावना है। अमेरिका ताइवान, हांगकांग, मानवाधिकार, व्यापार, प्रौद्योगिकी और बीजिंग की सामरिक महत्वाकांक्षाओं के कारण पहले ही चीन से नाराज है।
सिर्फ फायदा उठा रहा चीन : शी की सरकार ने रूस के युद्ध से स्वयं को दूर रखने की कोशिश की है और शांति वार्ता का समर्थन किया है, लेकिन उसने मॉस्को की निंदा नहीं की। ‘इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज’ की मारिया शगीना ने कहा कि हालांकि चीन और रूस मित्र हैं, लेकिन चीन सस्ती ऊर्जा और अनुकूल व्यापारिक सौदे पाने के लिए स्थिति का फायदा उठा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘वे रूस को अलग-थलग किए जाने पर स्थिति का हमेशा लाभ उठाएंगे, लेकिन वे प्रतिबंधों का सीधे उल्लंघन करने के मामले में सावधान रहेंगे।’’ बाइडन ने 18 मार्च को एक वीडियो सम्मेलन में चीन को चेतावनी दी थी कि वह रूस को सैन्य या आर्थिक मदद नहीं दे। अमेरिका इस बात से भी चिंतित है कि तीसरा सबसे बड़ा वैश्विक तेल आयातक भारत कम कीमतों का लाभ उठाते हुए रूस से और तेल खरीद रहा है। बाइडन प्रशासन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को ऐसा करने से रोकने से प्रयास कर रहा है।