Friday , March 29 2024 3:11 AM
Home / News / बेलारूस ने व्‍लादिमीर पुतिन को दिया झटका, रूस और चीन में बढ़ सकता है तनाव

बेलारूस ने व्‍लादिमीर पुतिन को दिया झटका, रूस और चीन में बढ़ सकता है तनाव


बेलारूस के राष्‍ट्रपति अलेक्‍जेंडर लुकाशेंको को जन विद्रोह से बचाने में लगे रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादि‍मीर पुतिन को मिंस्‍क से बड़ा झटका लगा है। बेलारूस ने रूस के कर्ज नहीं देने पर चीन के साथ डील कर लिया और चाइना डिवलपमेंट बैंक से 50 करोड़ डॉलर कर्ज ले लिया। इससे पहले रूस ने बेलारूस के 60 करोड़ डॉलर के कर्ज देने के अनुरोध को ठुकरा दिया था।
रूस के पैसे नहीं देने पर बेलारूस के वित्‍त मंत्री माकसिम येरमलोविच ने चीन से बात की और लोन ले लिया। इसके साथ ही बेलारूस ने रूस को यह संदेश भी दे द‍िया कि उसे मास्‍को के पैसे की की जरूरत नहीं है। माकसिम ने कहा, ‘हमने वित्‍तपोषण के लिए रूस के लोन पर विचार नहीं किया और हम उस पर वार्ता नहीं कर रहे हैं। हमने रूसी पक्ष से कोई अनुरोध नहीं किया है। हम रूसी लोन की आशा नहीं करते हैं।’
अमेरिकी पत्रिका फोर्ब्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक इस तरीके के युद्धपोत का इस्‍तेमाल द्वितीय विश्‍वयुद्ध के बाद बहुत ज्‍यादा नहीं हुआ है। आधुनिक युद्धपोतों की तरह से एडमिरल नखिमोव भी है जो परमाणु ऊर्जा से चलता है। इसे कोल्‍ड वॉर की जरूरतों को देखकर बनाया गया था। यह उस समय भी सबसे शक्तिशाली युद्धपोत था और आज भी है। इस युद्धपोत को बेहद घातक हथियारों से लैस किया गया है। इसमें 20 विशालकाय P-700 ग्रेनाइट मिसाइलें लगी हैं जो किसी भी अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर को तबाह कर सकती हैं।

एडमिरनल नखिमोव पर 96 S-300 और 40 9K33 ओसा शॉर्ट रेंज मिसाइलें लगाई जा रही हैं जिससे यह पलभर में ही दुश्‍मन के फाइटर जेट या ड्रोन को मार ग‍िराएंगी। इसके अलावा इस पर नजदीकी युद्ध के लिए 6 काश्‍तान प्रणाली लगाई गई हैं जिनमें से प्रत्‍येक में 30 मिलीमीटर की दो गन लगी हुई है। इसके अलावा 8 शार्ट रेंज की 9M311 मिसाइलें लगी होती हैं। इस तरह की कुल 192 मिसाइलें इस युद्धपोत पर रहती हैं। ऐसे संकेत हैं कि इस युद्धपोत को जल्‍द ही लॉन्‍च किया जा सकता है। यह युद्धपोत जुलाई 1997 में अंतिम बार समुद्री मिशन पर निकला था।

अपने विशाल आकार और जटिलता की वजह से एडमिरल नखिमोव का संचालन रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन के लिए आसान नहीं होगा। इसके संचालन के लिए बड़ी संख्‍या में नौसैनिकों की जरूरत होगी। रूस के पास इस तरह के दो युद्धपोत ही अब बचे हैं। दूसरे युद्धपोत का नाम पीटर द ग्रेट है जो रूसी नौसेना के आर्कटिक फ्लीट का हिस्‍सा है। एडमिरल नखिमोव का आधुनिकीकरण चल रहा है और नई तकनीकों से लैस किया जा रहा है। इस युद्धपोत पर सबमरीन रोधी हथियारों की तैनाती जा रही है। साथ ही इस पर AK-192 गन भी लगाई जा रही है।

रूसी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक एडमिरल नखिमोव को रूस की हाइपरसोनिक एंटी शिप म‍िसाइल 3M22 जिरक्रोन से लैस किया जाएगा। रूसी नौसेना अब इस एंटी श‍िप मिसाइल का बड़े पैमाने पर इस्‍तेमाल करने जा रही है। रूसी राष्‍ट्रपति ने हाल ही में हुई नेवी डे परेड के दौरान हाइपरसोनिक म‍िसाइलों पर काफी जोर दिया था। जिक्रोन अपनी मूल मिसाइल P-700 से छोटी है और इस वजह से ज्‍यादा संख्‍या में ले जाई जा सकेगी। एडमिरल नखिमोव पर कुल 60 जिक्रोन मिसाइलों को तैनात किया जा सकता है। हालांकि अभी यह स्‍पष्‍ट नहीं हुआ है कि रूस अपनी बहुचर्चित कैलिबर मिसाइलों को इस पर तैनात करेगा या नहीं।

बेलारूस और चीन के बीच दोस्‍ती नए क्षेत्रीय टकराव का स्रोत
रूस ने बेलारूस के इस कदम पर सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहा लेकिन विश्‍लेषकों ने चेतावनी दी है कि बेलारूस और चीन के बीच तेजी से बढ़ती दोस्‍ती नए क्षेत्रीय टकराव का स्रोत हो सकता है। उनका कहना है क‍ि रूस और यूक्रेन तनाव की शुरुआत के बाद चीन बेलारूस का न केवल करीबी आर्थिक मित्र बन गया था, बल्कि दोनों के बीच राजनीतिक और सैन्‍य संबंध विकसित हो गए थे।

बेलारूस सरकार रूस पर से अपनी निर्भरता अब घटा रही है और उसके लिए यूरोपीय संघ से बड़ा भागीदार चीन बन गया है। उधर, चीन चाहता है कि यूक्रेन के आसपास उसे एक नया रास्‍ता म‍िल जाए ताकि वह अपनी बेल्‍ट एंड रोड परियोजना को यूरोप तक बढ़ा सके। अब बेलारूस रूस से आर्थिक निर्भरता घटाने के लिए चीन का इस्‍तेमाल कर रहा है। बेलारूस और चीन के बीच बढ़ती दोस्‍ती का परिणाम है कि दोनों के बीच व्‍यापार 17 प्रतिशत बढ़कर 3.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। चीन से आगे अब केवल यूक्रेन और रूस हैं।