Tuesday , April 16 2024 5:09 PM
Home / News / समुद्र में चीन का शक्ति प्रदर्शन, साउथ चाइना सी में एक साथ चार मिसाइलों का किया टेस्ट

समुद्र में चीन का शक्ति प्रदर्शन, साउथ चाइना सी में एक साथ चार मिसाइलों का किया टेस्ट


साउथ चाइना सी में अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए चीन ने बुधवार देर रात चार मिसाइलों का टेस्ट किया। बताया जा रहा है कि ये चारों मध्यम दूरी तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलें थीं। चीन ने पहले ही हेनान द्वीप के पास मिसाइल टेस्ट को लेकर नोटम जारी किया हुआ था। जिसके कारण इस क्षेत्र में हवाई यातायात को प्रतिबंधित कर दिया गया था।

हेनान और पारसेल द्वीप के पास किया मिसाइल टेस्ट
चीन ने यह कदम अमेरिकी खोजी जहाजों के उसकी वायुसीमा के नजदीक उड़ान भरने के बाद उठाया है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने इन मिसाइलों का टेस्ट हेनान द्वीप और पारसेल द्वीप के बीच किया है। कुछ दिन पहले अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर रोनाल्ड रीगन ने पारसेल द्वीप के पास ही युद्धाभ्यास किया था। माना जा रहा है कि उसी का जवाब देने के लिए चीन ने मिसाइल टेस्ट के लिए इस जगह को चुना था।
अमेरिका ने चीन की 24 कंपनियों को किया बैन
अमेरिका ने चीन की 24 कंपनियों उस सूची में डाल दिया है जो चीन की सेना की मदद करती हैं। जिसके बाद ये कंपनियां अमेरिका में अपना बिजनेस नहीं कर पाएंगी। इसके अलावा इन कंपनियों और इनसे जुड़े लोगों के खिलाफ कड़ी जांच भी की जाएगी। अमेरिका ने आरोप लगाया है कि ये कंपनियां साउथ चाइना सी में ऑर्टिफिशियल द्वीप बनाकर उसके सैन्य अड्डा बनाने में सहायता करती हैं। अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में द्वीपों के निर्माण को लेकर चीन की कई बार आलोचना भी हो चुकी है।

चीन से बढ़ते खतरों से निपटने के लिए अमेरिका अपनी मध्य रेंज, गैर-न्यूक्लियर, जमीन से लॉन्च होने वाली क्रूज मिसाइलों की तैनाती करने के बारे में सोच रहा है। वॉशिंगटन के टॉप आर्म्स कंट्रोल समझौताकार मार्शल बिलिंगस्ली इस बारे में एशिया में अमेरिका के सहयोगी देशों से बातचीत करने वाले हैं। माना जा रहा है कि ये मिसाइल सिस्टम ताइवान, जापान, दक्षिण कोरिया या फिलीपींस में लगाए जा सकते हैं। इसके अलावा अमेरिका अन्य सहयोगी देशों से मिसाइल तैनाती के बारे में बात कर रहा है। लगभग दो महीने पहले ही जापान ने अमेरिकी मिसाइलों की तैनाती को रोक दिया था। हांलाकि, जापानी सरकार ने तब कोई कारण नहीं दिया था। लेकिन, अब चीन के साथ बढ़ती जापान की तनातनी के बीच उम्मीद की जा रही है कि जापान भी अमेरिकी मिसाइल की तैनाती की मंजूरी दे सकता है।

अमेरिका के पास दुनिया की सबसे आधुनिक सेना और हथियार हैं। दुनियाभर के देशों की सैन्य ताकत का आंकलन करने वाली ग्लोबल फायर पॉवर इंडेक्स के अनुसार 137 देशों की सूची में आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के मामले में अमेरिका दुनिया के बाकी देशों से बहुत आगे है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, अमेरिका के दुनिया में 800 सैन्य ठिकाने हैं। इनमें 100 से ज्यादा खाड़ी देशों में हैं। जहां 60 से 70 हजार जवान तैनात हैं। फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स, इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के आंकड़ों के मुताबिक, पूरे एशिया में चीन के चारों ओर 2 लाख से ज्यादा अमेरिकी सेना के जवान हर वक्त मुस्तैद हैं और किसी भी अप्रत्याशित हालात से निपटने में भी सक्षम हैं। वहीं चीन की घेराबंदी में अमेरिका और अधिक संख्या में एशिया में अपनी सेना को तैनाक करने की तैयारी कर रहा है। इससे विवाद और गहराने के आसार हैं।

B-1B बॉम्बर को अमेरिकी कंपनी बोइंग ने बनाया है। अमेरिकी नेवी और एयरफोर्स इसके 100 यूनिट्स को ऑपरेट करती है, जिसमें से कुछ एशिया, और यूरोप में भी तैनात हैं। ये जहाज परमाणु हमला करने में सक्षम हैं। यह बॉम्बर एक बार में 34,019 किलोग्राम वजन तक के बमों को लेकर जा सकता है। इसने सीरिया, लीबिया, अफगानिस्तान और ईराक युद्ध में अपनी बमबारी से दुश्मनों के पांव उखाड़ दिए थे। यह एक ही उड़ान में दुनिया के किसी भी कोने तक जाने और बमबारी कर वापस आने में सक्षम है।

B-2 स्प्रिट की गिनती दुनिया के सबसे घातक बॉम्‍बर्स में की जाती है। यह बमवर्षक विमान एक साथ 16 B61-7 परमाणु बम ले जा सकता है। हाल ही में इसके बेड़े में बेहद घातक और सटीक मार करने वाले B61-12 परमाणु बम शामिल किए गए हैं। यह परमाणु रेडार की पकड़ में नहीं आता है और चुपके से हमले को अंजाम देने में सक्षम है। यही नहीं यह दुश्‍मन के हवाई डिफेंस को चकमा देकर आसानी से उसके इलाके में घुस जाता है। इस बॉम्‍बर पर एक हजार किलो के परंपरागत बम भी तैनात किए जा सकते हैं। यह दुश्‍मन की जमीन पर हमला करने में सबसे कारगर बॉम्‍बर माना जाता है। माना जा रहा है कि यह बॉम्बर आने वाले दिनों में भारत के साथ मालाबार नेवल एक्सरसाइज में भी हिस्सा ले सकता है।

यूएस नेवी के एयरक्राफ्ट कैरियर दुनियाभर में अमेरिकी नौसैनिक ताकत के प्रतीक माने जाते हैं। अमेरिका ने साउथ चाइना सी में यह युद्धाभ्‍यास ऐसे समय पर शुरू किया है जब इसी इलाके में चीन की नौसेना भी युद्धाभ्‍यास कर रही है। चीन की नेवी परासेल द्वीप समूह के पास पिछले कई दिनों से युद्धाभ्‍यास करके ताइवान और अन्‍य पड़ोसी देशों को धमकाने में जुटी हुई है। अमेरिका ने जिन तीन एयरक्राफ्ट कैरियर को इंडो-प्रशांत महासागर में तैनात किया है वे यूएसएस थियोडोर रूजवेल्ट, यूएसएस निमित्ज और यूएसएस रोनाल्ड रीगन हैं।

एशिया में चीन की विस्तारवादी नीतियों से भारत को सबसे ज्यादा खतरा है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण लद्दाख में चीनी फौज के जमावड़े से मिल रहा है। इसके अलावा चीन और जापान में भी पूर्वी चीन सागर में स्थित द्वीपों को लेकर तनाव चरम पर है। हाल में ही जापान ने एक चीनी पनडुब्बी को अपने जलक्षेत्र से खदेड़ा था। चीन कई बार ताइवान पर भी खुलेआम सेना के प्रयोग की धमकी दे चुका है। इन दिनों चीनी फाइटर जेट्स ने भी कई बार ताइवान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है। वहीं चीन का फिलीपींस, मलेशिया, इंडोनेशिया के साथ भी विवाद है।

अमेरिकी खोजी विमानों की उड़ान का चीन ने किया विरोध
चीन के सैन्य अभ्यास के दौरान निर्धारित नो-फ्लाई ज़ोन में अमेरिकी वायुसेना के यू-2 जासूसी विमान की कथित घुसपैठ का चीन ने विरोध किया है। राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस कार्रवाई से सामान्य अभ्यास में गंभीर हस्तक्षेप किया गया। मंत्रालय ने प्रवक्ता वू कीन ने कहा कि यह पूरी तरह से उकसावे की कार्रवाई है। वू ने कहा कि चीन ने इसका कड़ा विरोध किया है और अमेरिका से ऐसी हरकतें रोकने की मांग की है।